ऋषिकेश(अंकित तिवारी):एम्स ऋषिकेश के फार्माकोलॉजी विभाग के तत्वावधान में तीन दिवसीय हाई परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (एचपीएलसी) प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को बायोमेडिकल रिसर्च, क्लीनिकल डायग्नोस्टिक्स और व्यक्तिगत दवा विकास में एचपीएलसी तकनीक की उन्नत उपयोगिता से परिचित कराना था।
कार्यक्रम की मुख्य उपलब्धियां
आयोजन अध्यक्ष और फार्माकोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर शैलेन्द्र हांडू ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रतिभागियों को एचपीएलसी उपकरणों के व्यावहारिक अनुभव और दवाओं के स्तर की निगरानी, बायोलॉजिकल सैंपल के विश्लेषण, और बायोमार्कर की पहचान जैसे कौशल प्रदान करने में सहायक रहा। कार्यक्रम में व्यक्तिगत दवा विकास और शोध कार्यों में उपयोगी सिद्धांत और तकनीकी दक्षताओं पर जोर दिया।
आयोजन सचिव प्रोफेसर पुनीत धमीजा ने इस तकनीक के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण, समस्या समाधान, और कैरियर उन्नति के नए अवसर खोलती है। एचपीएलसी जैसी तकनीक न केवल अनुसंधान के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, बल्कि छात्रों और पेशेवरों को वैश्विक मानकों पर खरा उतरने में सक्षम भी बना सकती है।
कार्यक्रम में एम्स भटिंडा के फार्माकोलॉजी विभाग के सहायक आचार्य एवं प्रशिक्षण के विशेषज्ञ डॉ विकास कुमार ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य प्रतिभागियों को चिकित्सा अनुसंधान और चिकित्सीय नवाचारों में योगदान देने के लिए तैयार करना है। कार्यक्रम के प्रशिक्षण समन्वयक डॉ ज्ञानवर्धन ने प्रतिभागियों को इसे उद्योग की बदलती जरूरतों के अनुसार कौशल विकास का उत्कृष्ट मंच बताया।
इस कार्यक्रम में उत्तरांचल विश्वविद्यालय, बीएचयू, विवेक कॉलेज, शिवालिक कॉलेज और देवभूमि विश्वविद्यालय सहित कई संस्थानों के बी. फार्मा, एम. फार्मा, और पीजी स्तर के छात्रों ने भाग लिया। तीन दिवसीय एचपीएलसी प्रशिक्षण कार्यक्रम ने प्रतिभागियों को चिकित्सा अनुसंधान और गुणवत्ता नियंत्रण के क्षेत्र में उन्नत तकनीकी दक्षताओं से लैस किया। कार्यक्रम की सफलता ने यह साबित कर दिया कि हाई परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी जैसी अत्याधुनिक तकनीक न केवल चिकित्सा और अनुसंधान के क्षेत्र में उपयोगी है, बल्कि यह छात्रों और पेशेवरों को अपने करियर में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में भी सहायता करती है।कार्यक्रम को सफल बनाने में फार्माकोलॉजी विभाग के संकाय सदस्यों , सीनियर रेजिडेंट्स, जूनियर रेजिडेंट्स , ट्यूटर सहित विभाग के कर्मचारियों का योगदान रहा।