उत्तराखंड(अंकित तिवारी): हर सफलता के पीछे एक ऐसी कहानी होती है, जो प्रेरणा का स्रोत बनती है। नेहा मेहरा की कहानी भी एक ऐसी ही प्रेरणादायक दास्तान है, जो संघर्ष, मेहनत और आत्मनिर्भरता की मिसाल है।उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ताड़ीखेत विकासखंड के तीपोला गांव की मूल निवासी नेहा मेहरा आज अपने कठिन परिश्रम और अदम्य इच्छाशक्ति के कारण एक सशक्त और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में उभरकर सामने आई हैं।
नेहा की कहानी केवल उनकी नहीं है, बल्कि यह उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों और संघर्षों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने का हौसला रखते हैं।
दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में 9 जुलाई 1995 को जन्मी नेहा ने न केवल अपने परिवार के कठिन आर्थिक हालातों का सामना किया, बल्कि अपने दृढ़ निश्चय और परिश्रम से सफलता की ऊँचाइयों को छुआ।
संघर्षों की नींव पर खड़ा सपना
नेहा का बचपन एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में बीता। उनके पिता पान सिंह मेहरा, जो कभी दिल्ली में हैंड मोल्डिंग का काम करते थे, कोविड महामारी के दौरान ऋषिकेश में चाय की दुकान चलाने लगे। उनकी माँ हेमा मेहरा एक गृहिणी हैं। तीन बहनों में सबसे छोटी नेहा ने बचपन से ही कठिन परिस्थितियों के बीच अपने सपनों को जिंदा रखा। स्कूल के दिनों में उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए ट्यूशन पढ़ाया, लेकिन अपने सपनों के प्रति उनका जुनून कभी कम नहीं हुआ।
शिक्षा और आत्मनिर्भरता का सफर
नेहा ने दिल्ली के विद्या भवन गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं की पढ़ाई पूरी की और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल और कॉलेज ऑफ नर्सिंग से नर्सिंग की पढ़ाई की। अपनी मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने 2019 में एम्स ऋषिकेश में नर्सिंग ऑफिसर के रूप में नियुक्ति पाई और आज वे सीनियर नर्सिंग ऑफिसर हैं। यह सफर सिर्फ पेशेवर सफलता का नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास का भी था।
जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण
नेहा की जिंदगी में सिर्फ काम ही नहीं, बल्कि उनके जुनून और रुचियों ने भी उन्हें एक पूर्ण व्यक्तित्व दिया है। उन्हें जानवरों से बेहद लगाव है, नई चीजों को सीखने का शौक है, और चित्रकारी तथा खाना बनाने में रुचि रखती हैं। उनके द्वारा बनाए गए केक उनके फ्री टाइम की रचनात्मकता को दर्शाते हैं। वे अपने कार्यस्थल पर होने वाली प्रतियोगिताओं में भी बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं, जहाँ उनके काम को सराहा जाता है।
प्रेरणा का स्रोत
नेहा मेहरा का जीवन इस बात का प्रमाण है कि चाहे जीवन में कितनी ही कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, आत्मविश्वास और मेहनत से सबकुछ हासिल किया जा सकता है। उनकी कहानी युवाओं को यह सिखाती है कि सपने देखना और उन्हें पूरा करने के लिए संघर्ष करना कितना जरूरी है।
नेहा कहती हैं, “जिंदगी चाहे कितनी ही कठिन क्यों न हो, हमें रुकना नहीं चाहिए।” उनकी यह सोच हमें हर परिस्थिति में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। नेहा मेहरा केवल एक नाम नहीं, बल्कि संघर्ष और सफलता की प्रतीक हैं।