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अटल स्मृति व्याख्यान माला: लेखक गाँव से नवचेतना का आरंभ : डॉ. निशंक

लेखक गाँव, थानों(अंकित तिवारी): 25 दिसंबर, 2024, का दिन भारतीय इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ने वाला है। पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के शुभ अवसर पर देहरादून के थानों स्थित लेखक गाँव में एक विशेष आयोजन उनकी स्मृति को समर्पित किया जा रहा है। यह आयोजन न केवल अटल जी के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है, बल्कि उनकी विचारधारा और आदर्शों को जीवंत रखने का एक सार्थक प्रयास भी है।

अटल : भारतीय राजनीति के युगपुरुष
अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति के महानायक थे। उनकी ओजस्वी वाणी, रचनात्मकता, और राष्ट्र के प्रति निष्ठा ने भारत को नई दिशा दी। उनका जीवन राष्ट्रीय चेतना और सद्भाव का प्रतीक रहा है। लेखक गाँव में उनकी स्मृति में आयोजित यह कार्यक्रम उनकी प्रेरणादायक विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का माध्यम बनेगा।

लेखक गाँव: साहित्य, संस्कृति और विचारों का केंद्र
लेखक गाँव के संस्थापक पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि , लेखक गाँव हिंदी साहित्य और सांस्कृतिक जागरूकता का एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है। यह केंद्र साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्रीय गौरव और चेतना को जीवंत बनाए रखने का प्रयास कर रहा है।

डॉ. निशंक ने बताया कि इस ऐतिहासिक आयोजन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण, 72 फीट ऊँचे राष्ट्रीय ध्वज का लोकार्पण, नालंदा पुस्तकालय एवं शोध केंद्र का उद्घाटन, और “अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान माला” का शुभारंभ शामिल है। यह गतिविधियाँ लेखक गाँव की परंपरा को और अधिक समृद्ध बनाएंगी।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल, पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू,कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि इंडिया टीवी के चेयरमैन रजत शर्मा, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, और फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मे.ज. असीम कोहली (से.नि.) अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएँगे।उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय चेतना का दीप प्रज्वलित करने का अवसर है।
यह आयोजन केवल अटल को श्रद्धांजलि देने का मंच नहीं, बल्कि साहित्य, संस्कृति, और राष्ट्रीय चेतना को सशक्त करने का प्रयास है। यह दिन हमें अटल जी के विचारों और आदर्शों को अपनाने और देशहित में कार्य करने की प्रेरणा देगा।

आइए, इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनें।हम सभी का कर्तव्य है कि इस आयोजन में भाग लेकर इसे सफल और स्मरणीय बनाएं। अटल जी के विचारों से प्रेरित होकर साहित्य और संस्कृति को समर्पित इस पहल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। लेखक गाँव से प्रेरणा लेकर अटल की स्मृति को चिरस्थायी बनाएं और राष्ट्रीय चेतना के इस दीप को प्रज्वलित रखें।

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