लेखक गाँव(अंकित तिवारी): भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की शताब्दी जयंती पर उत्तराखंड के लेखक गांव में आयोजित भव्य कार्यक्रम ने साहित्य, संस्कृति और ज्ञान की नई परंपराओं को जीवंत किया। इस आयोजन ने अटल जी की बहुआयामी प्रतिभा और उनके अद्वितीय योगदान को श्रद्धांजलि देते हुए समाज को एक नई दिशा देने का प्रयास किया।
कार्यक्रम का केंद्र बिंदु नालंदा पुस्तकालय एवं शोध केंद्र का उद्घाटन और अटल स्मृति व्याख्यान माला का शुभारंभ रहा। यह पुस्तकालय न केवल प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपराओं को संरक्षित करेगा, बल्कि आधुनिक शोध के लिए भी एक सशक्त मंच प्रदान करेगा। व्याख्यान माला हर वर्ष अटल जी के विचारों और दृष्टिकोण को समाज के सामने लाने का माध्यम बनेगी।
ज्ञान और विचारों का तीर्थस्थल: नालंदा पुस्तकालय
नालंदा पुस्तकालय, लेखक गांव का हृदय, अटल जी के विचारों और उनकी साहित्यिक दृष्टि का प्रतीक है। यह केवल एक पुस्तकालय नहीं, बल्कि प्राचीन और आधुनिक ज्ञान परंपराओं का संगम स्थल है। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल जी ने इसे “आधुनिक भारत का ज्ञान तीर्थस्थल” कहा। यह पुस्तकालय नई पीढ़ी को भारतीय साहित्य, संस्कृति और विचारधारा से जोड़ने का काम करेगा।
अटल के विचारों को जीवंत रखने का प्रयास
मुख्य वक्ता इंडिया टीवी के अध्यक्ष राजत शर्मा ने अटल जी को “नेता, कवि और युगदृष्टा” के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि अटल जी की साहित्यिक प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता आज भी प्रेरणादायक हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अटल जी के योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि राज्य की स्थापना उनकी दूरदर्शिता का परिणाम है।
लेखक गांव: साहित्य, संस्कृति और कला का केंद्र
डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के प्रयासों से विकसित लेखक गांव न केवल साहित्यकारों और कलाकारों के लिए मंच है, बल्कि यह विचारों के प्रसार का केंद्र भी बनेगा। 72 फीट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज के साथ इस गांव का उद्घाटन देशभक्ति और सांस्कृतिक समर्पण का प्रतीक बन गया।
एक नया युग: साहित्य, शोध और समाज सेवा का संगम
यह आयोजन केवल अटल जी की स्मृति को संजोने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह नई पीढ़ी को उनकी विचारधारा से प्रेरित करने का माध्यम भी बना। अटल स्मृति व्याख्यान माला और नालंदा पुस्तकालय, लेखक गांव को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।
लेखक गांव अब केवल एक स्थान नहीं, बल्कि साहित्य, कला और संस्कृति के पुनर्जागरण का केंद्र है। यह आयोजन अटल जी के विचारों और दृष्टिकोण को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का अभूतपूर्व प्रयास है। अटल जी के योगदानों को जीवंत रखने के इस प्रयास से भारत के सांस्कृतिक और साहित्यिक भविष्य को नई ऊंचाइयां मिलेंगी।
लेखक गांव में नालंदा पुस्तकालय और अटल स्मृति व्याख्यान माला का शुभारंभ केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि अटल जी के सपनों को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह स्थान आने वाले समय में साहित्य, संस्कृति और शोध के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनेगा।