उत्तराखंड

हिमालय के सतत विकास के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की जरूरत : प्रो.(डॉ.) पी पी ध्यानी

देहरादून(अंकित तिवारी): देवभूमि विकास संस्थान, देहरादून द्वारा आयोजित ‘गंगधारा विचारों का अविरल प्रवाह व्याख्यान माला’ का आयोजन 21-22 दिसंबर 2024 को दून विश्वविद्यालय में भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस आयोजन में मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड पुष्कर सिंह धामी, स्वामी अवधेशानन्द गिरिजी महाराज, राज्यपाल उत्तराखण्ड ले. ज. गुरमीत सिंह और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान समेत कई प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हुईं।

द्वितीय सत्र का विषय “हिमालय क्षेत्र में सतत विकास” था, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में श्री एस० पी० सिंह और डॉ० ए० एस० रावत ने अपने विचार रखे। सत्र की अध्यक्षता डॉ० पीताम्बर प्रसाद ध्यानी, पूर्व कुलपति, श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय ने की।
हिमालय, जिसे ‘पर्वतराज’ के नाम से भी जाना जाता है, न केवल भारत की भौगोलिक पहचान है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और आध्यात्मिक धरोहर भी है। इसके सतत विकास और संरक्षण के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समेकित प्रयासों की आवश्यकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में, देवभूमि विकास संस्थान, देहरादून द्वारा आयोजित ‘गंगधारा विचारों का अविरल प्रवाह व्याख्यान माला’ में पूर्व कुलपति और प्रख्यात शिक्षाविद डॉ. पीताम्बर प्रसाद ध्यानी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में हिमालय के चहुंमुखी विकास के लिए सात महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए।

डॉ. ध्यानी ने हिमालय की वैश्विक प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए इसे ‘राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्राथमिकताओं’ में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उनके सुझाव न केवल पर्यावरणीय और पारिस्थितिकीय चिंताओं को संबोधित करते हैं, बल्कि हिमालय क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर सुझाव
1. राष्ट्रीय हिमालय दिवस: हिमालय की महत्ता को जन-जन तक पहुंचाने के लिए एक राष्ट्रीय दिवस घोषित किया जाना चाहिए।
2. राष्ट्रीय हिमालय नीति: हिमालय क्षेत्र के सतत विकास और संरक्षण के लिए एक समग्र नीति तैयार होनी चाहिए।
3. पर्वतीय विकास मंत्रालय: हिमालय क्षेत्र की विशिष्ट समस्याओं को हल करने के लिए एक समर्पित मंत्रालय की स्थापना होनी चाहिए।
4. हिमालयी अध्ययन विश्वविद्यालय: क्षेत्रीय और वैश्विक अध्ययन के लिए एक विशेष विश्वविद्यालय स्थापित किया जाए।
5. वर्ल्ड हिमालय कांग्रेस: हिमालय से जुड़े देशों और विशेषज्ञों को जोड़ने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच का गठन हो।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुझाव
1. अंतर्राष्ट्रीय हिमालय दिवस: हिमालय की वैश्विक महत्ता को रेखांकित करने के लिए इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त दिवस के रूप में घोषित किया जाए।
2. वर्ल्ड हिमालय फोरम: हिमालय क्षेत्र के संरक्षण और विकास के लिए एक वैश्विक मंच की स्थापना हो।
वैश्विक संदर्भ में हिमालय की महत्ता
डॉ. ध्यानी ने हिमालय क्षेत्र के पारिस्थितिकीय संतुलन, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता संरक्षण में इसकी भूमिका को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि यदि हिमालय को वैश्विक प्राथमिकताओं में शामिल किया जाता है, तो इससे न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को पर्यावरणीय लाभ मिलेंगे।

डॉ. ध्यानी का 43 वर्षों का अनुभव और उनके 318 से अधिक शोध पत्र इस बात के प्रमाण हैं कि हिमालय के सतत विकास के लिए उनके सुझाव व्यावहारिक और दूरगामी हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे प्रयास हिमालय क्षेत्र के विकास के नए द्वार खोल सकते हैं।
हिमालय के संरक्षण और सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है। डॉ. ध्यानी के सुझाव इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। अब समय आ गया है कि नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों और समाज के सभी वर्गों को इस दिशा में ठोस प्रयास करने चाहिए, ताकि हिमालय का संरक्षण और विकास एक स्थायी और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित कर सके।

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