देहरादून(अंकित तिवारी):साहित्य, संस्कृति और विचारशील पत्रकारिता के क्षेत्र में एक सशक्त पहचान बना चुका ‘साईं सृजन पटल’ अब तकनीकी युग के साथ कदमताल करता हुआ डिजिटल माध्यमों पर अपनी उपस्थिति को और सुदृढ़ कर रहा है। इसी क्रम में पटल की आधिकारिक वेबसाइट https://www.sainsrijanpatal.com/ का भव्य शुभारंभ किया गया, जो रचनात्मकता और नवाचार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
इस अवसर पर पटल के संरक्षक और मुख्य संपादक डॉ. के.एल. तलवाड़, संपादकीय मंडल, तकनीकी सहयोगियों तथा विभिन्न रचनाकारों की गरिमामयी उपस्थिति रही। वेबसाइट का शुभारंभ करते हुए डॉ. तलवाड़ ने कहा कि “यह केवल एक वेबसाइट नहीं, बल्कि विचारों की उड़ान को वैश्विक मंच देने का एक माध्यम है। अब हमारी रचनात्मकता सीमाओं से परे जाकर देश-विदेश के पाठकों तक पहुँचेगी।” उन्होंने आगे बताया कि वेबसाइट पर साईं सृजन पटल की रचनाएं, संपादकीय, शोध आलेख, कविताएं, विशेषांक आदि डिजिटल रूप में उपलब्ध रहेंगे।
विशेष बात यह रही कि इस अवसर पर यह घोषणा भी की गई कि साईं सृजन पटल को भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) के अंतर्गत “प्रकाशन सेवाओं” की श्रेणी में आधिकारिक रूप से पंजीकृत कर लिया गया है। यह पंजीकरण संस्था के निरंतर साहित्यिक योगदान, शोध एवं जन संवाद के प्रयासों की सरकारी स्तर पर मान्यता है। डॉ. तलवाड़ ने कहा कि यह न केवल सम्मान है, बल्कि हमें अधिक उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से समाज के समक्ष तथ्यपरक और रचनात्मक सामग्री प्रस्तुत करने की प्रेरणा भी है।
उपसंपादक अंकित तिवारी ने बताया कि “यह वेबसाइट रचनाकारों के लिए एक ओपन प्लेटफॉर्म की तरह कार्य करेगी, जहाँ वे अपनी रचनात्मक ऊर्जा को सीधे पाठकों तक पहुँचा सकेंगे।” उन्होंने कहा कि पटल ने अब तक अपने पारंपरिक प्रकाशनों के माध्यम से जो विश्वास अर्जित किया है, वह अब डिजिटल रूप में और व्यापक स्तर पर पहुंचेगा।
सह-संपादक अमन तलवाड़ ने तकनीकी टीम को विशेष धन्यवाद देते हुए कहा कि “जब साहित्य सेवा, तकनीक और समर्पण एकत्र होते हैं, तब सृजन को नई ऊँचाइयाँ मिलती हैं।”
कार्यक्रम में नीलम तलवाड़ एवं इंसाइडी मीडिया कंपनी के सीईओ अक्षत भी उपस्थित रहे, जिन्होंने तकनीकी विकास में अहम भूमिका निभाई। इस अवसर पर साईं सृजन पटल से जुड़े वरिष्ठ रचनाकारों, पाठकों एवं शुभचिंतकों ने इस डिजिटल पहल को “रचनात्मकता का डिजिटल उत्सव” बताते हुए अपनी शुभकामनाएं दीं।
यह एक संकेत है कि साईं सृजन पटल केवल पारंपरिक पत्रिकाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि तकनीकी नवाचारों के साथ साहित्यिक धरोहर को आधुनिक युग से जोड़ने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।