लेखक गाँव(अंकित तिवारी): थानों स्थित भारत के पहले लेखक गाँव में नालंदा पुस्तकालय शोध एवं अनुसंधान केंद्र का भव्य उद्घाटन हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की साहित्यिक और सांस्कृतिक यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि यह लेखक गाँव मात्र एक स्थान नहीं, बल्कि साहित्यकारों और कवियों के लिए एक जीवंत प्रेरणा स्रोत है।
राज्यपाल ने डॉ. निशंक के साहित्यिक योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा, “यह लेखक गाँव डॉ. निशंक के अथक प्रयासों का परिणाम है, जिसने इसे उत्तराखंड से उठाकर अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। अटल जी की मूर्ति की स्थापना और उनके विचारों को यहाँ जीवित रखना उनके सपनों को साकार करने जैसा है। अटल जी की पंक्तियाँ – ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता’ – हर सामाजिक कार्यकर्ता और साहित्यकार के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।”
कार्यक्रम में अटल जी के संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में दिए गए ऐतिहासिक भाषण का विशेष उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने यह भी कहा कि लेखक और कवि का योगदान समय और स्थान से परे होता है। उनकी रचनाएँ, चाहे कितनी ही पुरानी क्यों न हों, जब भी पढ़ी जाती हैं, वे नई ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान करती हैं।
डॉ. निशंक द्वारा हर वर्ष आयोजित होने वाली व्याख्यानमाला को उन्होंने एक अनूठी परंपरा बताते हुए कहा, “यह आयोजन न केवल साहित्यिक संवाद को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान भी देगा।”
राज्यपाल ने इस लेखक गाँव को साहित्य, संस्कृति और शोध का केंद्र बताते हुए इसे उत्तराखंड का नहीं, बल्कि एक वैश्विक गाँव करार दिया। उन्होंने डॉ. निशंक के इस प्रयास को अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि बताया।
यह उद्घाटन समारोह साहित्य, संस्कृति और कला के संगम का सजीव उदाहरण बना, जिसने न केवल साहित्य प्रेमियों को, बल्कि समाज के हर वर्ग को प्रेरित किया।