हल्द्वानी(अंकित तिवारी): उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के नवम दीक्षांत समारोह में शिक्षा और समावेशन का अनूठा संगम देखने को मिला। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए उत्कृष्ट शिक्षार्थियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर 20 शिक्षार्थियों को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, 2 शिक्षार्थियों को कुलाधिपति स्वर्ण पदक, और 3 प्रायोजित स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इसके अलावा, 13 शिक्षार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई।
विशेष शिक्षा में ऐतिहासिक उपलब्धि
बी.एड. विशेष शिक्षा के सहायक अध्यापक तरुण नेगी ने बताया कि 400 से अधिक विद्यार्थियों ने बी.एड. विशेष शिक्षा की उपाधि प्राप्त की। इन विद्यार्थियों में देशभर के विभिन्न राज्यों जैसे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, केरल, दिल्ली, और पंजाब से छात्र शामिल थे। इस उपलब्धि ने विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
सांकेतिक भाषा में कुलगीत: समावेशिता की मिसाल
समारोह का मुख्य आकर्षण विश्वविद्यालय का कुलगीत था, जिसे श्रवण बाधित लोगों और विद्यार्थियों के लिए सांकेतिक भाषा में प्रस्तुत किया गया। यह पहल समावेशी शिक्षा की दिशा में विश्वविद्यालय के प्रयासों को दर्शाती है। केरल से बी.एड. विशेष शिक्षा की छात्रा आशा मेनन ने इस अवसर पर कहा, “यहां प्राप्त कौशल और ज्ञान हमारे जीवन में अमूल्य संपत्ति बने रहेंगे। मुझे उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र होने पर गर्व है।”
भविष्य की योजनाएं: नई शैक्षणिक पहलें
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह नेगी ने अपने संबोधन में बताया कि भविष्य में विश्वविद्यालय सांकेतिक भाषा में नवीन डिप्लोमा और एम.एड. विशेष शिक्षा कार्यक्रम शुरू करेगा। यह कदम विशेष जरूरतों वाले विद्यार्थियों के लिए शिक्षा को और सुलभ बनाएगा।
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय का नवम दीक्षांत समारोह न केवल शिक्षार्थियों के लिए सम्मान का अवसर था, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और समावेशिता के नए मील पत्थर स्थापित करने का प्रमाण भी। यह समारोह न केवल वर्तमान विद्यार्थियों बल्कि भविष्य के शिक्षार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरा है।