ऋषिकेश(अंकित तिवारी): इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स (IAIM) के तत्वावधान में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में तीन दिवसीय पीजी असेंबली का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विषय ‘परिवर्तन का इतिहास–आधुनिक माइक्रोबायोलॉजी का विकास’ रखा गया। इसमें एम.डी. माइक्रोबायोलॉजी कर रहे द्वितीय और तृतीय वर्ष के स्नातकोत्तर छात्रों ने भाग लिया।
वर्चुअल उद्घाटन करते हुए एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि चिकित्सा जगत में तेजी से बदल रही परिस्थितियों के बीच नवीनतम निदान तकनीकों से अपडेट रहना बेहद जरूरी है। उन्होंने विभागीय संकाय सदस्यों से आह्वान किया कि वे इस प्रकार के शैक्षणिक आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लें और भावी पीढ़ी के सूक्ष्मजीव वैज्ञानिकों को तैयार करने में मार्गदर्शन करें।
अकादमिक डीन प्रो. जया चतुर्वेदी और रिसर्च डीन प्रो. शैलेन्द्र हाण्डू ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं से प्रतिभागियों को व्यवहारिक अनुभव मिलता है, जिसे उन्हें अपने-अपने केन्द्रों में अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्यों में लागू करना चाहिए।
इस अवसर पर स्नातकोत्तर छात्रों के लिए व्याख्यान सत्र और व्यावहारिक प्रदर्शन आयोजित किए गए। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम का संचालन माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. योगेन्द्र प्रताप मथुरिया के नेतृत्व में हुआ। आयोजन समिति में सहायक आचार्य डॉ. सुकृति यादव, डॉ. पी. वी. सौजन्या सहित विभागीय सदस्यों के साथ बायोमेरिएक्स कंपनी के प्रतिनिधिगण भी शामिल रहे।
कार्यक्रम के समापन सत्र में छात्रों ने विभिन्न शोध विषयों और व्यवहारिक अनुभवों को साझा किया। विशेषज्ञों ने विश्वास जताया कि इस पीजी असेंबली से प्राप्त ज्ञान भविष्य में संक्रमण रोगों के निदान और अनुसंधान कार्यों को नई दिशा प्रदान करेगा।