देहरादून: पद्मश्री सम्मानित प्रख्यात कवि एवं साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी ने अपने बद्रीपुर, जोगीवाला स्थित आवास पर ‘साईं सृजन पटल’ मासिक पत्रिका के छठे अंक का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने पत्रिका के संपादक मंडल को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पत्रिका नवोदित लेखकों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन रही है। इसके माध्यम से उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक विरासत को पाठकों तक पहुंचाने का कार्य हो रहा है।
84 वर्षीय श्री जगूड़ी ने कहा कि पूरी तरह गैर-राजनीतिक और विज्ञापन-मुक्त यह पत्रिका एक निस्वार्थ प्रयास है, जो उत्तराखंड के लेखन और सृजनशीलता को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है। उन्होंने सराहना करते हुए कहा कि यह मंच न केवल नए लेखकों को प्रोत्साहित कर रहा है, बल्कि संघर्षशील युवाओं की सफलता की कहानियों को भी सामने ला रहा है, जिससे समाज को प्रेरणा मिल रही है।
पत्रिका के मुख्य संपादक प्रो. के.एल. तलवाड़ ने कहा कि उनका यह प्रयास देवभूमि उत्तराखंड के साहित्य, संस्कृति और सृजनशीलता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। उन्होंने बताया कि पत्रिका का उद्देश्य केवल ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक लेखों का संकलन करना ही नहीं, बल्कि युवा लेखकों को सृजनशीलता का एक मंच देना भी है, ताकि वे अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को जागरूक कर सकें।
इस अवसर पर देहरादून के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एस.डी. जोशी ने पत्रिका की संपादकीय टीम को बधाई देते हुए कहा कि पत्रिका में प्रकाशित लेख ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह पत्रिका आगे भी समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाले विषयों को प्राथमिकता देगी।
पत्रिका के उप-संपादक अंकित तिवारी ने बताया कि इस अंक में धार्मिक और साहसिक पर्यटन, उत्सव, आयुर्वेद, स्वास्थ्य, फलोत्पादन, मिलेट्स (श्री अन्न), सैर-सपाटा और मंदिर शिल्प आदि से जुड़े शोधपरक एवं रोचक लेखों को स्थान दिया गया है। पत्रिका विज्ञान, समाज, संस्कृति, साहित्य और इतिहास के विभिन्न पहलुओं को समाहित करने का प्रयास कर रही है, ताकि यह हर वर्ग के पाठकों के लिए उपयोगी साबित हो।
विमोचन कार्यक्रम में विशेष जगूड़ी, ऋचा, अलंकृता और हेमंत उपस्थित रहे। सभी ने पत्रिका की उपयोगिता को सराहते हुए इसे उत्तराखंड की साहित्यिक उन्नति में एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया।
‘साईं सृजन पटल’ के इस छठे अंक का विमोचन न केवल उत्तराखंड की साहित्यिक दुनिया के लिए एक प्रेरणादायक क्षण है, बल्कि यह नवोदित लेखकों और पाठकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक साबित होगा।