देहरादून
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड द्वारा चार दिवसीय उच्च प्राथमिक स्तर पर हिन्दी की पूरक पठन सामग्री परिशोधन कार्यशाला आज सम्पन्न हो गई।
कार्यशाला के समापन सत्र में अपर निदेशक एस. सी. ई. आर. टी. प्रदीप रावत जी ने आशा व्यक्त की कि कार्यशाला में तैयार पठन सामग्री बाल मनोविज्ञान के अनुरूप होगी। यह उन्हें आनंददाई वातावरण में ज्ञान के सृजन के अवसर प्रदान करेगी। उन्होने कहा कि शिक्षकों को रचनात्मक लेखन के लिए बच्चों को प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर डायट, एस. सी. ई. आर. टी और विद्यालयों के पास समाज के बौद्धिक संसाधन के रूप में उन व्यक्तियों से सम्बंधित आंकड़े होने चाहिएं जिससे उनकी क्षमताओं का सदुपयोग किया जा सके।
अपर निदेशक प्रदीप रावत जी ने इस अवसर पर कार्यशाला में अपना योगदान दे रहे सेवानिवृत्त शिक्षक श्री विजय सेमवाल जी को स्मृति चिह्न भेंट करते हुए उनके योगदान की सराहना की।
सहायक निदेशक डॉ. कृष्णानन्द बिजल्वाण जी ने इस अवसर पर कहा कि इस पठन सामग्री के माध्यम से बच्चों में पठन कौशल का विकास होगा।
कार्यशाला के समन्वयक डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी जी ने कार्यशाला में उपस्थित शिक्षकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि परिमार्जित पठन सामग्री पर हर डायट द्वारा शिक्षकों का अभिमुखीकरण किया जाएगा जिससे विद्यालय स्तर पर पठन सामग्री को सफलतापूर्वक लागू किया जा सके।
सन्दर्भदाता के रूप में विजय सेमवाल ने कहा कि विकसित सामग्री बच्चों तक अवश्य पहुँचाई जानी चाहिए। डॉ. उमेश चमोला ने कहा कि इस पठन सामग्री से जहाँ बच्चों के पठन कौशल का विकास होगा वहीं भाषा सम्बन्धी अवधारणायें भी स्पष्ट होंगी।
कार्यशाला में विशेषज्ञ के रूप में सोहन नेगी, विजय सेमवाल, डॉ आलोक प्रभा पाण्डे, डॉ. उमेश चमोला, सुधा पैन्यूली, मंजू भट्ट, रेनू, मनोरथ प्रसाद पोखरियाल, डॉ. सुरेश चंद्र पोखरियाल, रजनी, कनकलता सेमवाल, डॉ. हेम चंद्र तिवारी, टीकाराम रावत, डॉ. कपिल देव सेमवाल, जगदीश ग्रामीण, सन्देश चौधरी और डॉ. बुद्धि प्रसाद भट्ट ने अपना योगदान दिया।