उत्तराखंड

साईं सृजन पटल पत्रिका में पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद: स्वाद पहाड़ का कॉलम बना पाठकों की पसंद

देहरादून (अंकित तिवारी): उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत में जहां लोकगीत, नृत्य, परिधान, रीति-रिवाज और धार्मिक आयोजनों की विशेष भूमिका है, वहीं यहां के पारंपरिक व्यंजन भी अपनी अनूठी पहचान रखते हैं। ‘साईं सृजन पटल’ मासिक पत्रिका ने इन पहाड़ी व्यंजनों को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए स्वाद पहाड़ का नामक कॉलम की शुरुआत की है, जिसमें प्रत्येक अंक में किसी पारंपरिक व्यंजन की विधि को विस्तार से प्रस्तुत किया जाता है।

राजकीय महाविद्यालय, कल्जीखाल, पौड़ी गढ़वाल की हिंदी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शोभा रावत ने इस पत्रिका के लगातार पाँच अंकों में विभिन्न पहाड़ी व्यंजनों की रेसिपी पाठकों तक पहुँचाई है। उनके आलेखों में अरबी के पत्तों के पैतुड़, उत्तराखंड की पारंपरिक मिठाई अरसा, झंगोरे की खीर : हरदिल अजीज स्वीट डिश, स्वास्थ्यवर्धक है गहत की दाल का फाणु व कंडाली का साग : फाइबर और आयरन से युक्त आयुर्वेदिक औषधि लेखों के जरिए उत्तराखंडी पकवानों की समग्र जानकारी उन्होंने उपलब्ध करवाई है।

वहीं, पत्रिका के छठे अंक में डी.डब्ल्यू.टी. कॉलेज, देहरादून की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनीता चौधरी ने अपने आलेख कुमाऊँ के रस-भात का स्वाद व स्वास्थ्य के माध्यम से इस पारंपरिक व्यंजन की विशेषताओं और लाभों की जानकारी दी है।

दून के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एस.डी. जोशी का कहना है कि उत्तराखंड के पहाड़ी अनाज, विशेष रूप से मिलेट्स (मोटा अनाज) से बने व्यंजन सुपाच्य होते हैं और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं।

‘साईं सृजन पटल’ मासिक पत्रिका के मुख्य संपादक प्रो. के.एल. तलवाड़ ने बताया कि पत्रिका के आगामी अंकों में भी पहाड़ी व्यंजनों को शामिल किया जाएगा, ताकि पाठक उत्तराखंड की समृद्ध पाक कला से और अधिक परिचित हो सकें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button