कर्णप्रयाग(अंकित तिवारी): कर्णप्रयाग महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) इकाई द्वारा बी.एड. कॉलेज जिलासू में आयोजित सात दिवसीय शिविर के चतुर्थ दिवस पर फील गुड फाउंडेशन की पूनम राणा ने स्वयंसेवियों को सुरक्षित मासिक धर्म के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फील गुड सैनिटरी नैपकिन प्लास्टिक मुक्त होने के कारण न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक सिद्ध होता है।
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने पर जोर
पूनम राणा ने स्वयंसेवियों को जागरूक करते हुए कहा कि महिलाएं इस पहल से जुड़कर स्वरोजगार के अवसर भी प्राप्त कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना आवश्यक है, ताकि महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाया जा सके।
स्वच्छता और स्वास्थ्य पर विशेष जोर
कार्यक्रम अधिकारी हिना नौटियाल ने स्वयंसेवियों को मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों और अंधविश्वासों से दूर रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने बताया कि संक्रमण से बचाव के लिए सैनिटरी पैड को हर 5-6 घंटे में बदलना आवश्यक है। स्वच्छता बनाए रखना ही महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकता है।
मासिक धर्म पर खुली चर्चा की जरूरत – डॉ. चंद्रावती टम्टा
वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. चंद्रावती टम्टा ने अपने संबोधन में कहा कि मासिक धर्म एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया है, जिसे लेकर झिझक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बल दिया कि परिवार और समाज में इस विषय पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए, ताकि गलत धारणाओं को समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि जागरूकता ही वह माध्यम है जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
एनएसएस शिविर में बढ़ी जागरूकता
एनएसएस के इस विशेष सत्र में स्वयंसेवियों ने मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों पर खुलकर चर्चा की और स्वच्छता के महत्व को समझा। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित प्रशिक्षकों ने भी अपने विचार साझा किए और इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।