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स्वास्थ्य क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण की मिसाल: प्रो. मीनू सिंह

 

ऋषिकेश(अंकित तिवारी):महिला सशक्तिकरण की दिशा में जब भी किसी क्षेत्र में महिलाओं की उपलब्धियों की बात की जाती है, तब स्वास्थ्य क्षेत्र में महिला चिकित्सकों की भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय होती है। उत्तराखंड में स्थित सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश की कमान आज एक सशक्त महिला अधिकारी के हाथ में है। यह न केवल नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है, बल्कि इस बात का प्रमाण भी है कि आज की महिलाएं नेतृत्व के हर स्तर पर अपनी योग्यता सिद्ध कर रही हैं।

प्रो. मीनू सिंह, जो वर्तमान में एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक हैं, ने अपने अनुभव, कार्यकुशलता और नेतृत्व क्षमता के दम पर इस संस्थान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। यही नहीं, उन्हें केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एम्स भटिंडा के कार्यकारी निदेशक पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। एक साथ दो बड़े स्वास्थ्य संस्थानों का नेतृत्व संभालना, किसी भी व्यक्ति के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन प्रो. मीनू ने इसे अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से सफलतापूर्वक निभाया है।

एक लंबा और प्रेरणादायक सफर
प्रो. मीनू सिंह का चिकित्सा क्षेत्र में सफर चार दशकों से अधिक समय से जारी है। उन्होंने 1982 में एच.पी. मेडिकल कॉलेज, शिमला से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद चिकित्सा जगत में अपनी अलग पहचान बनाई। इसके बाद उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ में पीडियाट्रिक पल्मोनरी विभाग की विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य किया और अपनी विशेषज्ञता से कई नवाचार किए। इसके अलावा वह बाबा फरीद यूनिवर्सिटी की प्रिंसिपल और टेलीमेडिसिन सोसाइटी ऑफ इंडिया की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

प्रो. मीनू ने अमेरिका और ब्रिटेन में मेडिकल क्षेत्र के विभिन्न उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त किए और अपने ज्ञान व कौशल से देश में चिकित्सा जगत को समृद्ध किया। वर्तमान में वे एम्स के कार्यकारी निदेशक पद के साथ-साथ क्रोकेन इंडिया की को-चेयरपर्सन के पद पर भी कार्यरत हैं और स्वास्थ्य क्षेत्र की कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की सक्रिय सदस्य हैं।

पुरस्कार और वैश्विक पहचान
उनके योगदान को देखते हुए उन्हें अब तक 25 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा जा चुका है। सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक यह है कि ग्लोबल साइंटिस्ट रैंकिंग 2024 में उन्हें दुनिया के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया गया। यह न केवल उनके लिए, बल्कि भारत के चिकित्सा जगत के लिए भी गर्व की बात है।

महिलाओं के लिए प्रेरणादायक संदेश
प्रो. मीनू सिंह केवल अपने कार्यों से ही नहीं, बल्कि अपने विचारों से भी महिलाओं को प्रेरित करती हैं। प्रो. मीनू सिंह कहती है कि, “आज की महिला हर क्षेत्र में शिखर तक पहुंचने में पूरी तरह सक्षम है। संकल्प और लगन से कोई भी बाधा रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकती। सफलता का मूलमंत्र है—अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वाह करना और कभी भी पीछे न हटना।”

एम्स ऋषिकेश में महिला नेतृत्व की मजबूत उपस्थिति
प्रो. मीनू सिंह की तरह एम्स ऋषिकेश में अन्य कई महत्वपूर्ण पदों पर भी महिलाएं कार्यरत हैं, जो संस्थान में महिला शक्ति की मजबूत स्थिति को दर्शाता है—

प्रो. जया चतुर्वेदी – डीन एकेडमिक और स्त्री रोग विभागाध्यक्ष
प्रो. सत्य श्री – चिकित्सा अधीक्षक और पीडियाट्रिक सर्जरी विभागाध्यक्ष
प्रो. स्मृति अरोड़ा – कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्रिंसिपल
रीटा शर्मा – चीफ नर्सिंग ऑफिसर
इसके अलावा संस्थान के दर्जनभर से अधिक विभागों में भी महिला चिकित्सक प्रमुख पदों पर कार्यरत हैं।

महिला नेतृत्व की बढ़ती भागीदारी
एम्स ऋषिकेश का उदाहरण यह साबित करता है कि आज महिलाओं की भागीदारी केवल सहायक भूमिकाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि वे नेतृत्व के शीर्ष पदों तक पहुंचकर प्रशासन, चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण निर्णय ले रही हैं। यह बदलाव न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी एक नई सोच को जन्म देता है कि महिलाएं किसी भी भूमिका में सफलता पूर्वक कार्य कर सकती हैं।

निष्कर्ष
प्रो. मीनू सिंह और एम्स ऋषिकेश की अन्य महिला चिकित्सक, स्वास्थ्य क्षेत्र में महिला नेतृत्व की एक सशक्त तस्वीर प्रस्तुत करती हैं। वे यह सिद्ध कर रही हैं कि नारी शक्ति केवल परिवार और समाज तक सीमित नहीं है, बल्कि वह देश और वैश्विक स्तर पर भी प्रभावशाली भूमिका निभा सकती है।

महिलाओं के बढ़ते नेतृत्व से न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र समृद्ध हो रहा है, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ी के लिए भी एक मजबूत संदेश है कि सपने और संकल्प की कोई सीमा नहीं होती। प्रो. मीनू सिंह और उनके जैसी अन्य महिलाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी।

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