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“केम्प्टी जलप्रपात: जहाँ पहाड़ों की गोद में छिपे हैं भूवैज्ञानिक रहस्य!”

मसूरी(अंकित तिवारी) – बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के भूविज्ञान विभाग के स्नातक चतुर्थ सेमेस्टर के छात्रों ने केम्प्टी जलप्रपात, मसूरी का व्यापक भूवैज्ञानिक अध्ययन किया। इस शैक्षणिक यात्रा का नेतृत्व डॉ. अनूप कुमार सिंह ने किया, जिन्होंने छात्रों को केम्प्टी जलप्रपात की भौगोलिक स्थिति, भू-संरचना और पारिस्थितिकी तंत्र की महत्ता से अवगत कराया।

केम्प्टी जलप्रपात: एक प्राकृतिक आश्चर्य
डॉ. सिंह ने बताया कि केम्प्टी जलप्रपात उत्तराखंड के मसूरी शहर से 15 किलोमीटर दूर स्थित है। यह जलप्रपात समुद्र तल से 1364 मीटर की ऊंचाई पर 78°-02′ पूर्व देशांतर और 30°29′ उत्तर अक्षांश पर स्थित है। इसकी जलधाराएँ पहाड़ों के घने जंगलों से निकलकर 4500 फीट की ऊंचाई से गिरती हैं और 40 फीट ऊँचे झरने का निर्माण करती हैं, जो अंततः एक तालाब में समाहित हो जाती हैं।

उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ क्रोल बेल्ट की प्रोटेरोज़ोइक-कैम्ब्रियन चट्टानें पाई जाती हैं, जिन्हें मुख्य सीमा थ्रस्ट के साथ नियोजीन तलछटी चट्टानों (सिवालिक समूह) पर धकेला गया है। यह भूवैज्ञानिक संरचना क्षेत्र के भूस्खलन और जल बहाव को प्रभावित करती है।

वनस्पति और पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन
डॉ. सिंह ने बताया कि केम्प्टी फॉल क्षेत्र भूविज्ञान और वनस्पति विज्ञान के लिए भी महत्वपूर्ण है। भूविज्ञान मिट्टी और वनस्पति के वितरण को प्रभावित करता है, जिससे विभिन्न प्रकार की जैव विविधता विकसित होती है। मसूरी वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले जंगलों में ओक, पाइन, शीशम और मिश्रित वनस्पतियाँ प्रमुख रूप से पाई जाती हैं।

यहाँ मुख्य रूप से क्वेरकस ल्यूकोट्रिचोफोरा (ओक), पिनस रोक्सबर्गी (पाइन), डालबर्गिया सिस्सू (शीशम), बौहिनिया वेरिएगाटा, अकेशिया कैटेचू, कैसिया फिस्टुला और टर्मिनलिया बेलेरिका जैसी वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। इन वनस्पतियों की विविधता भूगर्भीय संरचना और मिट्टी की विशेषताओं पर निर्भर करती है।

भूस्खलन और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
डॉ. सिंह ने बताया कि हाल के वर्षों में केम्प्टी जलप्रपात क्षेत्र में भूस्खलन और अचानक बाढ़ की घटनाएँ बढ़ी हैं। इस क्षेत्र में अत्यधिक ढलान वाली चट्टानें, विशेषकर क्रोल चूना पत्थर , अधिक संवेदनशील हैं। 60 डिग्री से अधिक ढलान वाली इन चट्टानों पर भू-स्खलन की संभावना बनी रहती है।

जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा पैटर्न में बदलाव आ रहा है, जिससे कटाव की दर बढ़ रही है। भारी बारिश से अपक्षय और सतही जल प्रवाह बढ़ जाता है, जो भू-स्खलन और अचानक बाढ़ की घटनाओं को जन्म देता है।

केम्प्टी जलप्रपात: जैव विविधता का केंद्र
केम्प्टी फॉल क्षेत्र वन्यजीवों का भी प्रमुख निवास स्थान है। यहाँ सफेद कलगीदार कलीज तीतर, नीला रॉक कबूतर, अग्नि पूंछ वाला सनबर्ड, व्हिसलिंग थ्रश, सफेद टोपी वाला वाटर रेडस्टार्ट और लाल चोंच वाला नीला मैगपाई जैसे पक्षी पाए जाते हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र में तेंदुए और विभिन्न प्रकार की तितलियाँ भी देखी जाती हैं।

छात्रों के लिए ज्ञानवर्धक यात्रा
इस अध्ययन यात्रा के दौरान छात्रों ने मसूरी पहाड़ियों की भूगर्भीय संरचना का भी गहन अध्ययन किया। डॉ. पवन कुमार गौतम और डॉ. प्रियंका सिंह ने भी छात्रों के विभिन्न प्रश्नों का उत्तर दिया।

छात्रों ने इस महत्वपूर्ण शैक्षणिक यात्रा के आयोजन के लिए भूविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. नरेंद्र कुमार एवं अन्य शिक्षकों का आभार व्यक्त किया। इस यात्रा से छात्रों को भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं, पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई।

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