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नशा मुक्ति: अधिनियम, कार्यान्वयन और जागरूकता  संगोष्ठी: नशामुक्ति के लिए शिक्षकों और समाज की जिम्मेदारी आवश्यक

 

देहरादून(अंकित तिवारी):उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय परिसर, देहरादून और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में “नशा मुक्ति: अधिनियम, कार्यान्वयन और जागरूकता” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सुश्री रविन्द्री मंद्रवाल (प्रबंध निदेशक, सहकारिता), मुख्य वक्ता उत्तराखंड पुलिस के इंस्पेक्टर रविन्द्र यादव, राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान के डॉ. पंकज सिंह, उत्तराखंड पुलिस की कुसुम पुरोहित और शैलजा, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय देहरादून परिसर के निदेशक डॉ. सुभाष रमोला, विशेष शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सिद्धार्थ पोखरियाल, डॉ. भावना डोभाल और सहायक प्राध्यापक तरुण नेगी ने दीप प्रज्वलन कर संयुक्त रूप से किया।

मुख्य अतिथि रविन्द्री मंद्रवाल ने कहा कि नशे के कारण व्यक्ति का मस्तिष्क उसके नियंत्रण में नहीं रहता है, जिससे समाज और परिवार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने विचारों को संयमित कर राष्ट्र निर्माण में सकारात्मक योगदान देने की आवश्यकता पर बल दिया।

मुख्य वक्ता इंस्पेक्टर रविन्द्र यादव ने नशामुक्ति को पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है। पेअर ग्रुप प्रेशर पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मित्र मंडली का नकारात्मक प्रभाव युवाओं को नशे की ओर ले जाता है, जिसे रोकने के लिए मार्गदर्शन आवश्यक है।

उत्तराखंड पुलिस की कुसुम पुरोहित ने बताया कि नशे के कारण अपराध दर में वृद्धि हो रही है, विशेषकर महिला अपराधों में। उन्होंने युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। शैलजा ने नशे के कारण होने वाले सड़क हादसों और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक सर्वेक्षण के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं में से 50% का कारण नशा है।

राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पंकज सिंह ने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे समाज में शराब सेवन को सामाजिक स्वीकृति बनने से रोकने में अपनी भूमिका निभाएँ। उन्होंने कहा कि शिक्षक और अभिभावक दोनों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को नशे से दूर रखें।

कार्यक्रम संयोजक एवं विशेष शिक्षा विभागाध्यक्ष डॉ. सिद्धार्थ पोखरियाल ने कहा कि नशा एक बीमारी की तरह है और इसे दूर करने के लिए समाज को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक तरुण नेगी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम के सफल आयोजन में योगदान देने वाले सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया।

इस संगोष्ठी ने नशामुक्ति के प्रति जागरूकता फैलाने और समाज को नशे के दुष्प्रभावों से बचाने का संकल्प लिया।

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