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भागवत कथा में छप्पन भोग और गोवर्धन पूजा का महत्व बताया

जौलीग्रांट(अंकित तिवारी)  – श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के पंचम दिवस में जौलीग्रांट क्षेत्र में एक दिव्य एवं आध्यात्मिक वातावरण में गोवर्धन पूजन की महिमा का विशेष वर्णन किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को गोवर्धन पूजा की कथा सुनने का पवित्र सौभाग्य प्राप्त हुआ।

गौड़ीय मठ थानों के परम पूज्य त्रिदण्डी स्वामी भक्ति प्रसाद त्रिविक्रम महाराज ने कथा का वाचन करते हुए गोवर्धन पूजा के महत्व को विस्तार से बताया। महाराज ने कहा कि गोवर्धन पर्वत के पूजा का महत्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य और संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा भी देता है। उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की थी और यह कथा उन दिनों की श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है।


श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का पंचम दिवस एक अत्यधिक भव्य और पवित्र आयोजन था, जिसमें गोवर्धन पूजन की कथा और छप्पन भोग की झाँकी ने श्रद्धालुओं को अपनी दिव्य उपस्थिति से अभिभूत किया। इस आयोजन ने भक्तों में आस्था और भगवान श्री कृष्ण के प्रति श्रद्धा को और गहरा किया।

इस विशेष आयोजन में छप्पन भोग की झाँकी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रही। यह झाँकी गोवर्धन पूजा के दौरान भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाने वाले विविध स्वादिष्ट व्यंजनों का प्रतीक थी, जिसे देख श्रद्धालु अभिभूत हो उठे। इस दौरान भक्तों के मन में भक्ति का संचार हुआ और वातावरण और भी पवित्र हो गया।

कथा के दौरान श्रद्धालुओं ने बड़े श्रद्धा भाव से भाग लिया और श्री कृष्ण की लीलाओं में समाहित संदेशों को अपने जीवन में उतारने की ठानी।

इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से राकेश जोशी, सतीश जोशी, सुशील जोशी, प्रमोद जोशी, सुधीर जोशी, अनुज जोशी, मीना जोशी, सुधा जोशी और अन्य कथाप्रेमी शामिल थे। श्रद्धालुओं की उपस्थिति से कथा का माहौल और भी भव्य और आभायुक्त हो गया।

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