रायपुर//थानों//बड़ासी
तपती जेठ की दुपहरी में जब आसमान से आग बरस रही है और बिना पानी के जीव – जंतु, मनुष्य, पेड़ – पौधे सभी तड़प रहे हैं। बरसात में होने वाली फसल, सब्जियां इस समय अप्रैल – मई में बोई जाती हैं। उम्मीद रहती है कि बीच-बीच में बारिश होने से फसलों को सहारा मिलेगा। बरसाती खेती के लिए मशहूर बड़ासी ग्रांट, रामनगर डांडा, थानो, हल्द्वाड़ी, धारकोट, लड़वाकोट, पसनी, ईठारना सनगांव, सिंधवाल गांव, नाहीं कला में बरसाती फसल को बहुत अधिक नुकसान हो गया है। अब यदि बारिश पड़ेगी भी तो भी यह फसल पुनः जीवित होने की स्थिति में नहीं है। अदरक, हल्दी, अरबी की फसल पूर्णतया झुलस गई है जिससे किसानों के माथे पर पसीना झलकता हुआ दिखाई दे रहा है। अपनी फसल को अपने सामने मुरझाते देख किसानों के चेहरों पर मायूसी स्पष्ट देखी जा सकती है।
भीषण गर्मी से बचने के लिए हमें दीर्घकालीन योजनाएं तो बनानी ही होंगी अन्यथा जीवन मुश्किल हो जाएगा।