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जल संकट से निपटने को ‘जल पूजन’ की अनोखी पहल

एमकेपी कॉलेज से हुई शुरुआत, टौंस नदी पर भी हुआ आयोजन

देहरादून(अंकित तिवारी): हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी द्वारा जल वर्ष 2025 की शुरुआत जल पूजन कार्यक्रम के साथ की गई। पृथ्वी दिवस के अवसर पर इस अभिनव पहल का शुभारंभ एमकेपी महाविद्यालय देहरादून से हुआ, जहां नदियों, तालाबों, नौलों, कुओं व जलधाराओं के संरक्षण व सम्मान के उद्देश्य से सांस्कृतिक रूप में पूजा-अर्चना की गई।

इस अवसर पर संस्थान द्वारा जल स्रोत की पूजा, आरती, भजन व गीतों के माध्यम से जल के प्रति सम्मान प्रकट किया गया। छात्र-छात्राओं ने जल संरक्षण को लेकर जनजागरूकता फैलाने हेतु सहभागिता की।

‘कल के लिए जल’ अभियान के सूत्रधार द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा कि जल पूजन हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है, परंतु आधुनिकता के चलते हम अपनी जड़ों से दूर हो गए, जिसका परिणाम जल संकट व जलवायु परिवर्तन के रूप में सामने आ रहा है। उन्होंने अपील की कि जैसे हम अपने घरों के पूजाघरों, मंदिरों, मस्जिदों व अन्य धार्मिक स्थलों का सम्मान करते हैं, उसी तरह जलस्रोतों को भी आदर देना चाहिए।

पर्वतीय विकास शोध के नोडल अधिकारी डॉ. अरविंद दरमोड़ा ने बताया कि द्वारिका प्रसाद सेमवाल द्वारा जल संरक्षण हेतु किए जा रहे कार्यों की प्रधानमंत्री तक ने सराहना की है, और विद्यालयों को जलस्रोतों को गोद लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जो एक नई चेतना का संचार कर रहा है।

एमकेपी कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. अलका मोहन ने कहा, “जल नहीं तो कल नहीं महज नारा नहीं, बल्कि चेतावनी है। जीवन के अस्तित्व को बचाने के लिए जल स्रोतों का संरक्षण अनिवार्य है।”
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सरिता कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया और घोषणा की कि महादेवी जी की पुण्यतिथि पर तालाब निर्माण की पहल की जाएगी।

कार्यक्रम में प्रो. यतीश वशिष्ठ, भारती आनंद, विकास पंत, प्रज्वल उनियाल, डॉ. पुनीत सैनी, अंजना, कुसुम, राशि, दीपा, शीना, काजल, प्रतिभा, शीबा, मोनिका, रंजना, मधुर दरमोड़ा समेत अनेक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

टौंस नदी पर भी हुआ जल पूजन, सफाई और पुनर्जीवन का संकल्प
इसी क्रम में हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी और डीडी कॉलेज निंबुवाला के संयुक्त तत्वावधान में एनएसएस अधिकारी मयंक बंगारी के नेतृत्व में टपकेश्वर के निकट टौंस नदी की सफाई एवं जल पूजन किया गया।

इस मौके पर सेमवाल ने कहा, “जल पूजन हमारी संस्कृति की वापसी है। जल का दर्जा भी घर के मंदिर जैसा होना चाहिए। जब भागवत की शुरुआत जल पूजन से होती है तो हमारे जलस्रोत आज गंदगी के वाहक क्यों बन गए हैं?” उन्होंने नई पीढ़ी को जल व परंपरा से जोड़ने की आवश्यकता बताई।

डीडी कॉलेज के एनएसएस प्रभारी मयंक बंगारी ने कहा कि जल पूजन एक नई सोच है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति के साथ सामंजस्य की सीख देती है। भविष्य में भी यह कार्यक्रम जारी रहेंगे।

इस अवसर पर डॉ. अरविंद दरमोड़ा, विकास पंत, भारती आनंद, प्रज्वल उनियाल, पायल, सालनी, दिव्यांशु, नितिन राणा सहित कॉलेज के तीन दर्जन से अधिक विद्यार्थी मौजूद रहे।

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