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एम्स ऋषिकेश में नर्सिंग विद्यार्थियों के लिए नवजात पुनर्जीवन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

बीएससी नर्सिंग के छात्रों को नवजात पुनर्जीवन (NRP) के व्यावहारिक और सैद्धांतिक प्रशिक्षण से संवारा गया कौशल

ऋषिकेश(अंकित तिवारी): अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश के कॉलेज ऑफ नर्सिंग में नवजात शिशुओं की जान बचाने के लिए आवश्यक जीवन रक्षक उपायों पर केंद्रित नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम (Neonatal Resuscitation Program – NRP) पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में बीएससी नर्सिंग तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों ने सहभागिता कर व्यावसायिक दक्षता को नई दिशा दी।

 

कार्यक्रम का आयोजन बाल चिकित्सा नर्सिंग विभाग के तत्वावधान में किया गया, जिसकी आयोजन अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) स्मृति अरोड़ा रहीं, जबकि आयोजन सचिव की भूमिका एसोसिएट प्रोफेसर रूपिंदर देओल ने निभाई। कार्यशाला की शुरुआत प्रतिभागियों के पूर्व ज्ञान का मूल्यांकन करने के लिए एक प्री-टेस्ट के माध्यम से की गई।

 

इस अवसर पर डॉ. जेवियर बेलसियाल ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि “समय पर और प्रभावी नवजात देखभाल देने के लिए NRP प्रशिक्षण बाल चिकित्सा नर्सों को आवश्यक व्यावसायिक दक्षता प्रदान करता है।” उन्होंने नवजात जीवन रक्षा के वैश्विक महत्व पर भी प्रकाश डाला।

कार्यशाला में विशेषज्ञों ने नवजात पुनर्जीवन के विभिन्न चरणों जैसे — प्रारंभिक प्रतिक्रिया, सकारात्मक दबाव वेंटिलेशन, छाती संपीड़न, इंट्यूबेशन और दवा प्रशासन — पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किए। इसके बाद हुए व्यवहारिक सत्रों में विद्यार्थियों ने प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में अभ्यास किया, जिससे उन्हें थ्योरी को क्लिनिकल स्किल्स में बदलने का अवसर मिला।

प्रशिक्षण सत्रों का संचालन विभिन्न नर्सिंग विशेषज्ञताओं से जुड़ी विशेषज्ञ टीम द्वारा किया गया, जिसमें रूपिंदर देओल, डॉ. प्रसूना जेली, डॉ. मलार कोडी, डॉ. ज्योति शौकीन, वनीता, दुर्गा जोशी, अंजलि शर्मा, और रक्षा यादव शामिल रहीं।

समापन समारोह में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए और विद्यार्थियों ने कार्यशाला के अनुभव साझा करते हुए इसे अपने भविष्य के व्यावसायिक जीवन के लिए बेहद उपयोगी बताया।

यह कार्यशाला न केवल विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन का माध्यम बनी, बल्कि भविष्य में नवजात शिशुओं की जान बचाने में उनकी भूमिका को भी सशक्त करती है।

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