देहरादून//रायपुर
उत्तराखंड सरकार क्लस्टर विद्यालय स्थापित कर आस – पास के विद्यालयों को समाप्त कर रही है उससे इसके दूरगामी दुष्परिणामों का सामना भी करना पड़ेगा।
राजकीय शिक्षक संघ गढ़वाल मंडल के अध्यक्ष श्याम सिंह सरियाल ने बताया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा जो विद्यालय बंद या मर्ज करने के लिए चिन्हित हैं उनका मानक क्या होगा। क्योंकि दूरी का जहां तक सवाल है तो उसमें पर्वतीय क्षेत्रों में क्लस्टर स्कूल से 30 कि.मी. दूर तक के स्कूल को बंद करने का प्रस्ताव दिया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में 30 कि.मी. की दूरी मायने रखती है। वहीं 1100 की छात्र संख्या वाले स्कूल को भी बंद करने हेतु सूचीबद्ध किया गया है। आखिर यह कैसी नीति है जिसमें 0 मी. से 30 km तक के विद्यालय बंद करने की सिफारिश की गई है ।
श्री सरियाल ने कहा कि AC कमरों से पूरे प्रदेश हेतु बिना किसी भौगोलिक परीक्षण के जब नीतियां बनेंगी तो उस प्रदेश का क्या होगा। घटती छात्र संख्या का ठीकरा शिक्षकों के मत्थे फोड़ने वाले अपनी नीतियां देखने के लिए तैयार नहीं हैं। तीन महीने हो गए स्कूल खुले हुए अभी तक बच्चों के लिए स्कूलों में पुस्तकें नहीं भिजवा पाए। शिक्षकों को बहुउद्देशीय कर्मी बना दिया है। कभी ये दिवस कभी वो दिवस। कभी पढ़ाने भी तो दो।
श्री सरियाल जी ने बताया कि एक नजर जनपदवार प्रदेश भर के बनाए गए क्लस्टर स्कूलों और उससे आच्छादित विद्यालयों पर नजर डालें तो बहुत बड़ी साजिश लगती है।
*जनपद / क्लस्टर स्कूल / समायोजित स्कूल*
रुद्रप्रयाग 21 56
अल्मोड़ा 67 183
बागेश्वर 30 46
चंपावत 23 73
नैनीताल 53 125
पिथौरागढ़ 56 138
यू एस नगर 22 99
देहरादून 43 85
हरिद्वार 15 75
पौड़ी 79 215
टिहरी 78 181
उत्तरकाशी 30 90
चमोली 34 122
कुल 559 1488
ये आंकड़े सरकारी सूची के अनुसार हैं जो कि हैरान करने वाले हैं। कई जनपदों में 1 जुलाई 25 से क्लस्टर स्कूलों से आच्छादित विद्यालयों को एक साथ संचालित करने के आदेश भी हो गए हैं; यानि ये स्कूल बंद करने का फरमान जारी हो चुके हैं। जब 1488 स्कूल बंद होंगे तो इतने प्रिंसिपल, मिनिस्ट्रियल कर्मी, चतुर्थ श्रेणी कर्मी के पद समाप्त होंगे। यदि 1488 स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों का औसत प्रति स्कूल 10 भी लगाया जाए तो पंद्रह हजार पद समाप्त होंगे।
श्री सरियाल ने आशंका जताई कि ये बड़ा षडयंत्र है ; जब 1488 स्कूल बंद होंगे तो बंद हुए स्कूलों के स्थान पर प्राइवेट स्कूल खुलेंगे।यह पर्दे के पीछे असली खेल चल रहा है।
आखिर किस बैठक में यह षड्यंत्र रचा होगा मुझे तो नीति नियंताओं की सोच पर तरस आ रहा है और हैरान भी हूं किसी एक ने भी उत्तराखंड के नौनिहालों के बारे में नहीं सोचा। अरे उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों का आंकलन भी तो एक बार कर लेते।
यदि व्ययभार कम ही करना है तो उसके बहुत तरीके हैं ।शिक्षा का बजट कम कर आप स्कूल बंद करोगे तो शिक्षा के अधिकार का क्या होगा, प्रभावित होने वाले बच्चे कहा जाएंगे। इतने पद खत्म कर शिक्षकों की पदोन्नतियों के दरवाजे बंद करना सर्वथा अनुचित है। और बेरोज़गारों की लाइन बढ़ाने का कुत्सित प्रयास करना अन्यायऔर अनुचित है।