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शब्दों के सारथी, समाज के प्रेरक डॉ. निशंक के जन्मदिन पर लेखक गांव में आयोजित होंगे सामाजिक व साहित्यिक कार्यक्रम

ऋषिकेश(अंकित तिवारी):  भारत सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का जन्मदिन 15 जुलाई को लेखक गांव में भव्य और विशेष रूप से मनाया जाएगा। इस अवसर पर न केवल साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, बल्कि समाज सेवा की दिशा में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे, जो उनके जीवन के आदर्शों और दृष्टिकोण को सम्मानित करने के साथ-साथ समाज के प्रति उनके योगदान को भी प्रदर्शित करेंगे।

लेखक गांव के परिवार से जुड़ी पूजा पोखरियाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में विशेष रूप से स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा, जो समाज के प्रति एक सशक्त संदेश देगा। रक्तदान के माध्यम से जीवन रक्षक कदम उठाए जाने के साथ ही साहित्यिक विमर्श का भी आयोजन होगा, जिसमें वरिष्ठ साहित्यकारों और बाल कवियों द्वारा कविता गोष्ठी की जाएगी। यह गोष्ठी साहित्य की शक्ति को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगी, जो नई पीढ़ी को प्रेरित करेगा।

साथ ही, पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से लेखक गांव परिसर में वृक्षारोपण अभियान भी चलाया जाएगा। यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास होगा, बल्कि समाज में हरियाली और शुद्ध वायु के महत्व को भी रेखांकित करेगा।

लेखक गांव के सदस्य और ‘साईं सृजन पटल’ के संयोजक व संपादक प्रो. के.एल. तलवाड़ ने डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनका साहित्यिक योगदान निरंतर बढ़ता जा रहा है। लेखक गांव की परिकल्पना और उसका निर्माण निशंक जी के साहित्य के प्रति उनके समर्पण का जीवंत प्रमाण है। वे न केवल एक राजनेता हैं, बल्कि एक संवेदनशील लेखक भी हैं, जिनका साहित्यिक कार्य समाज के लिए दिशा दिखाता है।

डा. निशंक की साहित्य सेवा उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा रही है और लेखक गांव के निर्माण में उनका योगदान साक्षात उदाहरण है कि साहित्य समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह आयोजन न केवल उनके साहित्यिक योगदान को सम्मानित करने का एक तरीका है, बल्कि समाज सेवा के प्रति उनके समर्पण को भी उजागर करता है।

लेखक गांव में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम से यह सिद्ध होगा कि साहित्य और समाज सेवा के माध्यम से हम एक बेहतर और जागरूक समाज का निर्माण कर सकते हैं। डॉ. निशंक का जीवन हमें यह सिखाता है कि जब एक व्यक्ति साहित्य और समाज सेवा को एक साथ जोड़ता है, तो उसका प्रभाव व्यापक और सकारात्मक होता है।

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