देहरादून
गढ़वाली बोली भाषा के लिए समर्पित श्री सत्येन्द्र सिंह चौहान “सोशल” जी आम बोलचाल में भी हास्य पैदा कर देते हैं। आधा दर्जन गढ़वाली फिल्मों के लिए आपने डायलॉग लिखे।
किराए की कुटिया में देहरादून में आपने गढ़वाली फिल्मों की दुनिया में कदम रखे। गढ़वाली कविता के तो आप सशक्त हस्ताक्षर हैं। मूल निवास, भू कानून से संबंधित आपकी गढ़वाली कविताएं / गीत मन को झकझोर कर देती हैं।
आकाशवाणी, दूरदर्शन से आपकी कविताएं प्रसारित होती रहनी हैं। आवाज साहित्यिक संस्था ऋषिकेश सहित विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक सरोकारों से आप जुड़े हुए हैं।
साक्षात्कार के दौरान आपने बहुत गंभीर बात कही कि दूसरों को वही हंसा सकता है जो खुद रोया हो। कलाकारों की आर्थिक स्थिति, गढ़वाली फ़िल्मों के गिरते स्तर सहित विभिन्न मुद्दों पर आपने बेबाक टिप्पणियां की।
मिलनसार, हंसमुख, सरल स्वभाव वाले हास्य कवि सत्येंद्र सिंह चौहान सोशल जी को नमन, वंदन और अभिनन्दन।
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