ऋषिकेश(अंकित तिवारी):अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के शरीर क्रिया विज्ञान विभाग द्वारा “अंतरिक्ष में मनुष्य” विषय पर एक महत्वपूर्ण वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें अंतरिक्ष कार्यक्रमों में चिकित्सा पेशेवरों और शोधकर्ताओं के योगदान को प्रमुखता से प्रस्तुत किया गया।
वेबिनार का शुभारंभ एम्स की निदेशक, प्रोफेसर मीनू सिंह ने किया, जिसमें विभाग की प्रमुख आचार्य लतिका मोहन की अध्यक्षता में आयोजित इस आयोजन की सचिवता विभाग की अपर आचार्य डॉ. जयंती पंत ने की। वेबिनार की मेज़बानी डॉ. अश्विनी महादुले ने की।
यह वेबिनार चिकित्सा पेशेवरों की अहम भूमिका को उजागर करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया, जिन्होंने भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मुख्य भाषण में डॉ. सुधांशु शेखर मिश्रा ने “भारत में मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम का इतिहास” विषय पर प्रकाश डाला, और बताया कि वह स्वयं भारत-रूस अंतरिक्ष कार्यक्रम में पहले भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए शामिल थे।
सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय के ग्रुप कैप्टन दीपांजन डे ने “सूक्ष्मगुरुत्व के संपर्क में आने के दौरान और बाद में शारीरिक अनुकूलन” पर अपने विचार साझा किए, वहीं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के डॉ. सुनील कुमार ने बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की चुनौतियों पर चर्चा की।
इसके अतिरिक्त, इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन, बैंगलोर के लेफ्टिनेंट कर्नल एबी श्रीनिवास ने “भारत में अंतरिक्ष फिजियोलॉजी के अनुसंधान में उपलब्धियों और भविष्य के कार्यक्षेत्र” पर सत्र आयोजित किया।
वहीं, कैप्टन मोना दहिया ने अंतरिक्ष उड़ान के दौरान एयरो चिकित्सा संबंधी चिंताओं पर चर्चा की, जो इस क्षेत्र में उनके अनुभव और विशेषज्ञता का परिचायक था।
इस वेबिनार में देशभर से 185 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिन्होंने आयोजन की सराहना की और इसे अत्यंत सफल और ज्ञानवर्धक माना।