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ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केवल एक तकनीकी चुनौती नहीं, बल्कि यह सामूहिक सामाजिक जिम्मेदारी : डॉ बृजमोहन शर्मा

दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर और SPECS के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने दी महत्वपूर्ण जानकारी

देहरादून(अंकित तिवारी):दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर और SPECS के संयुक्त तत्वावधान में आज द देहरादून डायलॉग के अंतर्गत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर तीसरे व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम डीएलआरसी सभागार में हुआ, जिसमें छात्रों, नागरिक समूहों, पर्यावरण विशेषज्ञों और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का उद्घाटन  अनिल जग्गी ने किया, जिन्होंने द देहरादून डायलॉग और SPECS की भूमिका को रेखांकित किया और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर व्याख्यान की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर वेस्ट वॉरियर्स सोसायटी, देहरादून के मयंक शर्मा और नवीन कुमार सदाना ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों और समाधानों पर विचार प्रस्तुत किए।

वक्ताओं ने भारत और उत्तराखंड में अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति पर आंकड़े साझा किए:

  • भारत प्रतिदिन लगभग 1.6 लाख टन ठोस अपशिष्ट उत्पन्न करता है, जिसमें से केवल 60% संग्रहित और 20-25% संसाधित होता है।
  • उत्तराखंड में प्रतिदिन 1,600-1,800 टन अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसमें पर्वतीय नगरों में पर्यटन और परिवहन समस्याएं अतिरिक्त दबाव उत्पन्न करती हैं।

कार्यक्रम का उद्देश्य ठोस अपशिष्ट में कमी, पृथक्करण और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप प्रबंधन पर जागरूकता बढ़ाना था। इसके अंतर्गत नागरिकों को अपशिष्ट में कमी, पर्यावरण हितैषी जीवनशैली अपनाने और कचरे के स्रोत पर पृथक्करण की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अतिरिक्त, लैंडफिल पर निर्भरता कम करने और विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को मज़बूत करने पर चर्चा की गई।

व्याख्यान के दौरान दो सामुदायिक मॉडल—हर्रावाला मॉडल (शहरी/पेरि-शहरी) और पर्यावरण सखी मॉडल (ग्रामीण)—प्रस्तुत किए गए। इन मॉडलों ने सामुदायिक सहभागिता, स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की भूमिका और विकेन्द्रीकृत कम्पोस्टिंग के महत्व को दर्शाया।

साथ ही, सरकारी और राज्य स्तरीय पहलों जैसे स्वच्छ भारत मिशन 2.0, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम पर भी चर्चा हुई। उत्तराखंड में MRFs को मज़बूत करने, डोर-टू-डोर कलेक्शन बढ़ाने और प्लास्टिक-फ्री ज़ोन विकसित करने की पहलें भी साझा की गईं।

इस सत्र में दिए गए सुझावों में 100% स्रोत-स्तर पर कचरा पृथक्करण, स्थानीय निकायों की क्षमता बढ़ाना, और सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर कड़ी निगरानी रखने की बात की गई। साथ ही, अपशिष्ट प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी और पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।

डॉ. बृज मोहन शर्मा, SPECS के अध्यक्ष ने समापन संदेश में कहा, “ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केवल एक तकनीकी चुनौती नहीं, बल्कि यह सामूहिक सामाजिक जिम्मेदारी है। हर छोटे कदम का बड़ा प्रभाव होता है। हमें मिलकर उत्तराखंड को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।

कार्यक्रम में चंद्रशेखर तिवारी, हरी राज सिंह, रानू बिष्ट, डॉ. विजय गम्भीर, बलेन्दु जोशी, राम तीरथ मौर्या, डॉ. यशपाल सिंह, और फूलचंद नारी शिल्प इंटर कॉलेज, माया देवी यूनिवर्सिटी, पीपुल्स साइंस इंस्टिट्यूट के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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