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“हिंदी को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्वीकारने की आवश्यकता: डॉ. निशंक”

हिंदी दिवस पर 'राष्ट्रीय एकता और हिंदी' संवाद कार्यक्रम में साहित्यकारों ने साझा किए विचार

डोईवाला (अंकित तिवारी) : हिंदी दिवस के अवसर पर भारत के पहले लेखक गांव थानों में आयोजित संवाद कार्यक्रम “राष्ट्रीय एकता और हिंदी” में विभिन्न साहित्यकारों, कवियों और हिंदी शोधार्थियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसमें कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व शिक्षा मंत्री, भारत सरकार एवं पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल, पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. सविता मोहन और स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय की उपाध्यक्ष विदुषी निशंक शामिल रहे।

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने अपने उद्बोधन में हिंदी को एकता का प्रतीक बताया और कहा, “हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक और सामाजिक सामंजस्य का प्रतीक है। हमें इसे और सशक्त बनाना होगा ताकि यह हर भारतीय के दिल में घर कर सके और राष्ट्रीय एकता को मजबूती दे सके।”

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल ने हिंदी भाषा की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा, “हिंदी में न केवल भारतीयता की भावनाएं समाहित हैं, बल्कि यह एकता का संदेश भी देती है। हमें इसे केवल भाषा के रूप में नहीं, बल्कि एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के रूप में देखना चाहिए।”

कार्यक्रम की अध्यक्ष, पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. सविता मोहन ने कहा, “हिंदी का महत्व शिक्षा और साहित्य दोनों में अत्यधिक है। यह हमारे विचारों को व्यक्त करने का सबसे प्रभावी साधन है, और इसे सशक्त बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है।”

इस कार्यक्रम के दौरान काव्य पाठ का आयोजन भी किया गया, जिसमें प्रसिद्ध कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिंदी के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को व्यक्त किया।

इस संवाद कार्यक्रम ने हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए, राष्ट्रीय एकता की भावना को प्रगाढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। साहित्य जगत की प्रमुख हस्तियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और इसे समृद्ध किया, जिससे हिंदी दिवस के इस आयोजन ने न केवल भाषा, बल्कि भारतीयता और एकता के संदेश को भी और अधिक मजबूत किया।इस कार्यक्रम मे प्रमुख रुप से ममता गुप्ता, डा. क्षमा कौशिक, मोनिका शर्मा, रचना शर्मा, डा. नूतन स्मृति, कविता बिष्ट, मणिक अग्रवाल, मनमोहन सकलानी, तनुजा सिंह, डा. मुकेश नौटियाल, विरेन्द्र डंगवाल, कुसुम रावत, बीना बेंजवाल रहे । कार्यक्रम का संचालन डा. भारती मिश्रा ने किया।

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