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रामलीला महोत्सव में श्रीराम के आदर्शों का हुआ मंचन

सीता हरण, जटायु मोक्ष और श्रीराम-सबरी मिलन के दृश्य प्रस्तुत

प्रतीत नगर/रायवाला(अंकित तिवारी): लोक कल्याण समिति द्वारा आयोजित चतुर्थ श्री रामलीला महोत्सव के दौरान शनिवार को तीन प्रमुख दृश्यों का मंचन किया गया। इस आयोजन में दर्शकों ने भगवान श्रीराम के आदर्शों और उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को जीवंत रूप में देखा।

तीन मुख्य दृश्यों में –सीता हरण: इस दृश्य में सीता माता के स्वर्ण मृग के आग्रह पर श्रीराम उनके पीछे निकल जाते हैं। सीता की चिंता और लक्ष्मण का त्याग रावण के छल को उजागर करता है। रावण, भिक्षुक के वेश में सीता का हरण कर ले जाता है, और जटायु उनके संघर्ष को दर्शाता है, जो अंततः रावण से युद्ध करते हुए प्राण त्याग देते हैं।

जटायु मोक्ष: जटायु का भगवान श्रीराम के साथ संवाद और उनका अंतिम संस्कार भी भावुक क्षणों में से था, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गया।

श्रीराम-सबरी मिलन: इस दृश्य में प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण की खोज में शबरी के आश्रम की यात्रा और वहाँ शबरी द्वारा खाए गए झूठे बेर के साथ भगवान के निस्वार्थ प्रेम का संदेश दिया गया। श्रीराम ने शबरी को नवधा भक्ति का ज्ञान दिया और समाज को हर व्यक्ति के महत्व को समझने का पाठ पढ़ाया।

इस कार्यक्रम में श्रीराम, लक्ष्मण, सीता, रावण, जटायु और सबरी जैसे पात्रों के सुंदर अभिनय ने दर्शकों का दिल जीत लिया। कलाकारों की सराहना करते हुए दर्शकों ने रामलीला के भव्य मंचन का आनंद लिया। रामलीला के ऑनलाइन प्रसारण ने दूर-दराज के दर्शकों को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा और उनकी सराहना प्राप्त की।

कार्यक्रम के दौरान रामलीला मंचन के कलाकारों – सौरभ चमोली (श्रीराम), जयंत गोस्वामी (लक्ष्मण), नितीश सेमवाल (सीता), सचिन गौड़ (रावण), नरेश थपलियाल (जटायु), देवकी सुबेदी (सबरी), राजेन्द्र प्रसाद रतूड़ी (साधु रावण) और अनीता जुगलान (साध्वी) सहित अन्य कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुति से मंच को जीवंत किया।

रामलीला के आयोजकों और समिति के सदस्य – गंगाधर गौड़ (अध्यक्ष), बालेन्द्र सिंह नेगी (उपाध्यक्ष), नरेश थपलियाल (सचिव), मुकेश तिवाड़ी (कोषाध्यक्ष) सहित अन्य ने कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही इस अवसर पर लोक कल्याण समिति द्वारा विभिन्न अतिथियों को सम्मानित किया गया।

रामलीला महोत्सव का पंडाल दर्शकों से पूरी तरह भरा हुआ था और इस भव्य आयोजन ने धार्मिक और सांस्कृतिक संदेश के साथ समाज में सौहार्द और एकता को बढ़ावा दिया।

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