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उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय का प्रेरण कार्यक्रम: विशेष शिक्षा के क्षेत्र में नई उम्मीदें

देहरादून(अंकित तिवारी):  उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय परिसर कार्यालय देहरादून के आदर्श अध्ययन केंद्र 11000 द्वारा आज एक प्रेरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. नवीन चंद्र लोहानी ने की। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय में विशेष बीएड पाठ्यक्रम के शिक्षार्थियों ने भाग लिया।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रो. गोविंद सिंह, जो उत्तराखंड सरकार की सूचना एवं मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने अपने संबोधन में कहा कि विशेष शिक्षा के पाठ्यक्रम को लागू करने के दौरान कई समस्याएं उत्पन्न होती थीं, खासकर योग्य शिक्षकों की कमी के कारण। उन्होंने इस कार्यक्रम के माध्यम से विशेष शिक्षा के शिक्षकों की बढ़ती उपलब्धता को भविष्य में छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर करार दिया।

कुलपति प्रो. नवीन चंद्र लोहानी ने अपने संबोधन में बताया कि विश्वविद्यालय विशेष शिक्षा के माध्यम से उन छात्रों तक अपनी पहुंच बनाने का प्रयास कर रहा है, जिन्हें समाज में विशेष शिक्षा की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में विश्वविद्यालय विशेष शिक्षा के शिक्षक भी भर्ती करेगा, ताकि छात्रों को अधिक लाभ मिल सके।

इस अवसर पर परिसर निदेशक डॉ. सुभाष रमोला ने दूरस्थ शिक्षा में हो रहे अभूतपूर्व परिवर्तनों पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय ने अपनी अध्ययन सामग्री को ऑनलाइन उपलब्ध कराकर शिक्षार्थियों के लिए शिक्षा को और अधिक सुविधाजनक बनाया है।

वहीं, विषय समन्वयक डॉ. सिद्धार्थ पोखरियाल ने बताया कि विशेष शिक्षा विभाग द्वारा संचालित पाठ्यक्रम पांच सेमेस्टर में विभक्त है, जिसमें शारीरिक और मानसिक विकास के साथ-साथ विद्यार्थियों के पुनर्वास और सशक्तिकरण पर भी ध्यान दिया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी नए संस्थान से जुड़कर उसकी कार्यसंस्कृति और कार्यों से परिचित होते हैं।

कार्यक्रम में सहायक क्षेत्रीय निदेशक गोविंद सिंह रावत, डॉ. नरेंद्र जगुड़ी, शैक्षिक सलाहकार तरुण नेगी, बृज मोहन खाती, अरविंद कोटियाल, श्री अजय कुमार सिंह, राहुल देव, अभिषेक सहित अन्य प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

यह कार्यक्रम विशेष शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, जिससे भविष्य में ऐसे छात्रों के लिए शिक्षा की राह और भी आसान होगी।

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