चमोली(अंकित तिवारी): राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कर्णप्रयाग में कैरियर काउंसिल सेल द्वारा “वर्तमान वैश्विक परिदृश्य के संदर्भ में भारत की विदेश नीति” विषय पर एक ऑनलाइन विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में और डॉ. इंद्रेश कुमार पाण्डेय के संचालन में विविध महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. मदन लाल शर्मा ने भारत की विदेश नीति की वर्तमान स्थिति पर विस्तार से विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज भारत की विदेश नीति अधिक सक्रिय, आत्मविश्वासी और राष्ट्रीय हितों पर केंद्रित है। डॉ. शर्मा ने पड़ोसी देशों के साथ ‘पड़ोसी पहले’ नीति, ‘एक्ट ईस्ट’, ‘थिंक वेस्ट’ और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका से जुड़े ‘सागर विजन’ पर प्रकाश डाला।
भारत की वैश्विक भूमिका के संदर्भ में उन्होंने विशेष रूप से भारत द्वारा संचालित ऑपरेशन दोस्त और ऑपरेशन गंगा जैसे मानवतावादी प्रयासों को उजागर किया, जिन्हें भारत की संवेदनशील और जिम्मेदार वैश्विक भूमिका का प्रतीक माना गया। इसके अलावा, G20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने वैश्विक दक्षिण की आवाज को मजबूती देने का कार्य किया।
भारत-अमेरिका संबंधों पर उन्होंने क्वाड, रक्षा सहयोग, IPEF, अंतरिक्ष साझेदारी और आतंकवाद विरोधी प्रयासों को दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक संबंधों का आधार बताया। वहीं भारत-चीन संबंधों की जटिलताओं पर चर्चा करते हुए डॉ. शर्मा ने सीमा विवाद, व्यापार असंतुलन, तकनीकी निर्भरता और पाकिस्तान-चीन सामरिक सहभागिता को प्रमुख चुनौतियों के रूप में सामने रखा।
भारत-रूस संबंधों में बढ़ते रक्षा सहयोग, ऊर्जा साझेदारी और व्यापार संभावनाओं को सकारात्मक रूप से देखा गया, लेकिन बदलती वैश्विक प्राथमिकताओं के कारण उत्पन्न होने वाली नई चुनौतियों को भी रेखांकित किया गया। इसके अलावा बांग्लादेश के साथ ऊर्जा, आर्थिक और रक्षा सहयोग की प्रगति के साथ ही राजनीतिक अस्थिरता और चीनी प्रभाव को भी चर्चा में लाया गया।
प्राचार्य प्रो. राम अवतार सिंह ने व्याख्यान की महत्ता पर जोर देते हुए इसे महाविद्यालय के प्राध्यापकों और विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के व्याख्यानों का आयोजन निरंतर होना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग इससे लाभान्वित हो सकें।
इस ऑनलाइन व्याख्यान में महाविद्यालय के प्राध्यापकगण, शोधार्थी और छात्र-छात्राओं के साथ ही राजस्थान और उत्तर प्रदेश से भी कई प्राध्यापकों ने सहभागिता की। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।








