देहरादून(अंकित तिवारी): उत्तराखण्ड के राजभवन को आधिकारिक रूप से अब ‘लोक भवन’ के नाम से जाना जाएगा। राज्यपाल ले. जनरल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह ने इस परिवर्तन की स्वीकृति दी और आज मुख्य द्वार पर ‘लोक भवन’ नाम अंकित कर पुनः स्थापित किया गया। राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि संविधान में ‘लोक’ यानी जनता को सर्वोच्च स्थान दिया गया है और यह परिवर्तन इसका प्रतीक है।
राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा, “लोक ही राष्ट्र की शक्ति है, लोक ही लोकतंत्र की आत्मा है।” उन्होंने आशा व्यक्त की कि ‘लोक भवन’ उत्तराखण्ड के नागरिकों के लिए एक आशा, संवेदनशीलता, पारदर्शिता और जनसेवा का केंद्र बनेगा। उनके अनुसार, ‘लोक भवन’ जनता की सेवा की उस पवित्र भावना का प्रतीक है, जिसमें हर नागरिक इस भवन का अपना हिस्सा महसूस करेगा।
राज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि यह भवन केवल एक प्रशासनिक प्रतिष्ठान का प्रतीक नहीं है, बल्कि उत्तराखण्ड के हर व्यक्ति की आकांक्षाओं, उम्मीदों और विश्वास का घर है। “हमारा संकल्प है कि लोक भवन सचमुच ‘लोक’ के लिए, ‘लोक’ के साथ और ‘लोक’ के समर्पण में कार्य करेगा,” राज्यपाल ने अपने संबोधन में यह भी कहा।
इस बदलाव का उद्देश्य राज्य सरकार और प्रशासन के बीच और आम नागरिकों के बीच एक अधिक घनिष्ठ और विश्वासपूर्ण संबंध स्थापित करना है। ‘लोक भवन’ का नया नाम न केवल उत्तराखण्ड की समृद्ध संस्कृति और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक बनेगा, बल्कि यह एक सशक्त और पारदर्शी प्रशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी होगा।
राज्यपाल के इस विचारशील कदम ने समस्त राज्यवासियों के बीच एक नया जोश और उम्मीद जगाई है, जो ‘लोक’ की सेवा में सच्चे समर्पण का प्रतीक बनेगा।




