डोईवाला : साहित्य जगत में नए आयाम स्थापित करने वाले मंच ‘साईं सृजन पटल’ ने लेखक और शोधकर्ता डाॅ. हरीश चंद्र रतूड़ी को उनके उत्कृष्ट लेखन के लिए ‘लेखक श्री सम्मान’ से नवाजा। यह सम्मान समारोह जोगीवाला स्थित साईं सृजन पटल के परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें पटल के संस्थापक प्रो. के.एल. तलवाड़ ने डाॅ. रतूड़ी को स्मृति चिन्ह और लेखों से संबंधित पत्रिकाओं का एक सेट भेंट कर उन्हें सम्मानित किया।
डाॅ. रतूड़ी, जो कि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग में वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष हैं, उत्तराखंड के तीर्थाटन और धार्मिक पर्यटन पर गहरी पकड़ रखते हैं। उनके लेखन में उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक स्थल, और धार्मिक महत्व की झलक मिलती है, जिसे पाठकों ने हमेशा सराहा है। ‘साईं सृजन पटल’ मासिक पत्रिका में उनके द्वारा लिखे गए आदिबद्री, बैरासकुंड, श्री बूढ़ा केदार, त्रिवेणी घाट ऋषिकेश की गंगा आरती और कुमाऊं के गिरिजा देवी मंदिर जैसे लेख पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं।
पत्रिका के उप संपादक, अंकित तिवारी के अनुसार, ‘साईं सृजन पटल’ ने मात्र डेढ़ वर्ष में ही अपनी पहचान बना ली है। इसने नवोदित लेखकों के लिए एक मजबूत मंच प्रस्तुत किया है, जहां वे अपनी रचनाओं को साकार रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं। कई कोचिंग सेंटर अब इस पत्रिका को उत्तराखंड के सामान्य ज्ञान से जुड़े प्रश्नों के लिए संदर्भित कर रहे हैं।
इस विशेष अवसर पर डाॅ. रतूड़ी ने इस सम्मान के लिए साईं सृजन पटल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह मंच उनके लेखन को एक नई दिशा देने में मददगार साबित हुआ है। ‘साईं सृजन पटल’ के इस प्रयास से उत्तराखंड की संस्कृति, धर्म, और परंपरा को एक नया दृष्टिकोण प्राप्त हो रहा है, जो साहित्यिक समाज में इसे और भी महत्वपूर्ण बना रहा है।
सह संपादक अमन तलवाड़ ने इस कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि साईं सृजन पटल का सफर न्यूजलेटर से लेकर एक प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका तक का सफर काबिल-ए-तारीफ है। लेखिका नीलम तलवाड़ और इंसाइडी क्रिएटिव मीडिया के सीईओ अक्षत भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस सम्मान समारोह ने न केवल डाॅ. हरीश चंद्र रतूड़ी के लेखन को मान्यता दी, बल्कि यह ‘साईं सृजन पटल’ के साहित्यिक प्रयासों को भी प्रोत्साहित करने वाला कदम साबित हुआ है। यह मंच आगे भी साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने योगदान से पाठकों को जागरूक और प्रेरित करता रहेगा।
कुल मिलाकर, साईं सृजन पटल का यह सम्मान समारोह न केवल लेखकों के योगदान को स्वीकारता है, बल्कि यह उन मंचों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर करता है, जो नवोदित लेखकों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बनते हैं।







