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“राष्ट्रीय संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धारा पर दिया नया दृष्टिकोण”

हरिद्वार(अंकित तिवारी): राजकीय मॉडल महाविद्यालय मीठीबेरी, महायोगी गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय बिथ्याणी (यमकेश्वर), और राजकीय महाविद्यालय वेदीखाल के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हाइब्रिड मोड में हुआ। इस संगोष्ठी का विषय था “विकसित भारत @ 2047: एक संकल्प भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति, समाज, ज्ञान व विज्ञान के संदर्भ में”, जो भारत के आगामी भविष्य और विकास के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित था।

संगोष्ठी के द्वितीय दिवस के प्रमुख कार्यक्रम:

राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय दिन के कार्यक्रम की शुरुआत संयोजक डॉ. उमेश कुमार द्वारा मुख्य वक्ताओं के परिचय से हुई, और कार्यक्रम संचालक डॉ. नीरज नौटियाल ने सत्र के वक्ताओं का स्वागत किया। पहले सत्र में विभिन्न विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए। इनमें प्रमुख थे:

  • प्रो. के. पी. चौधरी (एस.डी.एस.यू.वी. कैंपस, ऋषिकेश)
  • प्रो. वी. डी. एस. नेगी (सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा)
  • प्रो. अनिल कुमार वर्मा (गुलाब सिंह हिन्दू पी.जी. कॉलेज, चाँदपुर बिजनौर)
  • डॉ. सुप्रिया संजु (गुरुग्राम विश्वविद्यालय, हरियाणा)
  • डॉ. प्रभजोत कौर (गुरुनानक गर्ल्स कॉलेज, यमुनानगर, हरियाणा)

सभी वक्ताओं ने भारतीय समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए और भारत के विकास की दिशा में योगदान के लिए सुझाव दिए। इसके साथ ही विभिन्न छात्रों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और राष्ट्रीय संगोष्ठी के महत्व को विकसित भारत के संदर्भ में स्पष्ट किया।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय दिवस का दूसरा सत्र:

द्वितीय सत्र में प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे:

  • प्रो. आनंद प्रकाश सिंह (सभापति)
  • डॉ. सुनील देवराड़ी (उप सभापति)

इन वक्ताओं ने राष्ट्र निर्माण और विकास के लिए एकजुट प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आने वाली पीढ़ियाँ अपने राष्ट्र के विकास में सक्रिय रूप से भाग लें।

तकनीकी सत्र और अन्य प्रमुख वक्ता:

तकनीकी सत्र में विविध विश्वविद्यालयों के सम्मानित व्यक्तित्वों ने सशक्त भारत निर्माण के लिए अपने विचार रखे, जिनमें प्रमुख थे:

  • प्रो. संजय कुमार (राजकीय महाविद्यालय सतपुली)
  • प्रो. अमरदीप सिंह (राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पंचकुला, हरियाणा)
  • डॉ. शिवचन्द सिंह रावत (राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर)
  • डॉ. प्रभाकर त्यागी (राजकीय महाविद्यालय चौखुटिया, अल्मोड़ा)

इनसेमिनारों में शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए, और विभिन्न पहलुओं से भारत को विकासशील राष्ट्र बनाने के लिए अनेक दृष्टिकोण दिए।

समापन सत्र और धन्यवाद ज्ञापन:

राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतिम सत्र में प्रो. सतीश कुमार (एस.डी.कॉलेज, मुज़फ़्फ़रनगर) और डॉ. हिमानी बडोनी (उप सभापति) ने सशक्त भारत के निर्माण की दिशा में साझा विचार प्रस्तुत किए। इसके बाद, भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय सोनीपत की प्रो. शैफाली नागपाल, प्रो. अमित बचन (असमाबी कॉलेज, केरल), प्रो. दिनेश सिंह (गुलाब सिंह हिंदू कॉलेज, बिजनौर), और डॉ. कृष्ण गोपाल त्यागी (रामलाल आनंद कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

आखिरकार, मुख्य संयोजक डॉ. उमेश त्यागी ने सभी वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया और संगोष्ठी के सफल आयोजन की दिशा में कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया। आयोजन सचिव डॉ. कुलदीप चौधरी ने कार्यक्रम की सफलता पर खुशी जताई और भविष्य में ऐसे और संगोष्ठियों के आयोजन की उम्मीद व्यक्त की।

इस अवसर पर राजकीय मॉडल महाविद्यालय मीठीबेरी की प्राचार्य प्रो. अर्चना गौतम, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अरविंद वर्मा, डॉ. देशराज सिंह, डॉ. सुनीता बिष्ट, डॉ. सुमन पांडे, और विभिन्न छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे।

यह संगोष्ठी भारत के आगामी 25 वर्षों में ‘विकसित भारत’ के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

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