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“कर्णप्रयाग महाविद्यालय में मिजोरम की विशेषता और सतत आजीविका पर व्याख्यान”

कर्णप्रयाग (अंकित तिवारी)। डा. शिवानंद नौटियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग में उच्च शिक्षा व्याख्यानमाला के अंतर्गत पांचवे व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. राम अवतार सिंह ने किया। व्याख्यान मिजोरम केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. विश्वंभर प्रसाद सती द्वारा दिया गया, जिसका विषय था “मिजोरम के विशेष संदर्भ में सतत आजीविका दृष्टिकोण”

अपने व्याख्यान में डॉ. सती ने मिजोरम के समावेशी विकास में सतत आजीविका दृष्टिकोण की महत्वपूर्ण भूमिका पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि गरीबी उन्मूलन में इस दृष्टिकोण के विभिन्न पहलुओं को समझना बेहद आवश्यक है। मिजोरम और पूर्वोत्तर भारत की भौगोलिक स्थिति, वहां की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियां, उपलब्धियां और चुनौतियां भी उन्होंने बारीकी से विश्लेषित की।

प्रोफेसर सती ने मिजोरम के सामाजिक और आर्थिक संकेतकों का गहराई से अध्ययन करते हुए यह बताया कि सतत आजीविका की दिशा में किस तरह की नीतियों की आवश्यकता है, ताकि वहाँ के विकास में कोई रुकावट न आए। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि किस प्रकार सतत विकास और आजीविका के दृष्टिकोण को लेकर मिजोरम में प्रभावी कदम उठाए गए हैं और इनसे वहाँ के ग्रामीण इलाकों में सुधार आया है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. इंद्रेश कुमार पाण्डेय ने किया, और यह कार्यक्रम ऑनलाइन मोड में आयोजित किया गया। इसमें कर्णप्रयाग महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक एवं अन्य महाविद्यालयों से भी अनेक शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया। अंत में, डॉ. कविता पाठक ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और कार्यक्रम का समापन किया।

इस व्याख्यान ने विद्यार्थियों को न केवल मिजोरम के सामाजिक और विकासात्मक पहलुओं को समझने का अवसर दिया, बल्कि सतत आजीविका के दृष्टिकोण को लेकर उनके दृष्टिकोण में भी नवीनता लाई।

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