नैनीताल//भीमताल
दिनांक 11 फरवरी आज दिनांक 11-02-2025 को कार्यानुभव विभाग जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान भीमताल द्वारा आयोजित रंग मंचीय कौशल विकास कार्यशाला के समापन दिवस पर प्रशिक्षकों – वरिष्ठ रंगकर्मी हरीश पाण्डे, बृजमोहन जोशी, मोहन जोशी, शम्भू दत्त साहिल व डॉ० मनमोहन चौधरी के दिशा निर्देशन में प्रशिक्षु शिक्षकों द्वारा कार्यक्रमों का मंचन जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान भीमताल के सभागार में किया गया।
इस कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य डायट भीमताल सुरेश चंद्र आर्य, राजेश कुमार जोशी, ललित प्रसाद तिवारी, डा.आरती जैन, डा.विमल किशोर, डा.सुमित पाण्डे, डा. शैलेन्द्र धपोला, रेखा तिवारी, डा. संजय गुरूरानी, डॉ .पी.एस. बुगंला , डॉ.हेम चन्द्र तिवारी, राजेश कुमार पाण्डे, तनुजा, हरीश सिंह बिष्ट, मनोज चौधरी, तथा इस कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. ज्योतिर्मय मिश्र तथा सभी कलाकारों के द्वारा रंगमंच की पूजा के साथ दीप प्रज्ज्वलित व सरस्वती वन्दना के साथ किया गया।
इस पांच दिवसीय थियेटर कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को थियेटर का ज्ञान कराना व कुमाऊंनी लोक संस्कृति के विविध आयामों कि जानकारी देना था जिससे कि वह अपने अपने विद्यालयों के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देकर प्रतिभावान बना सकें। इस कार्यशाला में स्पीच व शरीर सौष्ठव पर विशेष रूप से कार्य किया गया। इसके लिए भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के कालजयी नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा का चयन किया गया। ताकि प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे सभी शिक्षक इसमें प्रतिभाग कर सकें।
रंगकर्मी बृजमोहन जोशी द्वारा निर्देशित कुमाऊंनी बाल गीतों का मंचन/कुमाऊंनी लोकचित्र कला ऐपण का प्रदर्शन मंच सज्जा के रूप में प्रतिभागी शिक्षकों के द्वारा किया गया जिसमें भारतीय चैत्र माह के स्वागत का लोक पर्व फूल संक्रांति पर बालक और बालिकाओं द्वारा गाया जाने वाला बाल गीत – फूल देई छम्मा देवी, दैड़ी द्वार भर भकार ..पूस के महिने में बच्चों के द्वारा धूप (घाम) को बुलाने के लिए गाये जाने वाला बाल गीत – घाम दीदी इथकै आ,बादल भीना उथकै जा, तथा घर के आंगन में बच्चों के द्वारा ( खेले ) गाये जाने वाले बाल गीतों – बुढ़िया बुढ़िया के चानै छी …. तथा बुढ़िया बुढ़िया त्यर हाथ का छन जैसे गीतों का प्रदर्शन किया।
इसके बाद शिक्षकों के द्वारा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा लिखित नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा का मंचन किया गया इस नाटक का निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी हरीश पाण्डे ,संगीत निर्देशन मोहन जोशी व शम्भू दत्त साहिल द्वारा किया गया। डी एल एंड प्रशिक्षुओं व उपस्थित संकाय सदस्यों द्वारा कार्यक्रम की सराहना की गई। सभी मंत्रमुग्ध होकर कुमाउंनी संस्कृति के रंग में रंग गए। विभिन्न प्रस्तुतियों ने दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया।
प्राचार्य डायट सुरेश चन्द्र आर्य द्वारा अपने आशीर्वचन में सभी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे शिक्षक /शिक्षिकाओं के द्वारा किए गए कार्यक्रमों की प्रशंसा करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ साथ शिक्षक शिक्षिकाओं को बच्चों को कुमाऊंनी लोक संस्कृति के विविध आयामों की जानकारी भी रंग मंचीय कलाओं के माध्यम से देना आवश्यक है। आज एक अच्छे संगीत को भी स्वस्थ मनोरंजन के साथ साथ स्वास्थ सेवाओं में प्रयोग किया जा रहा है यह प्रयोग बहुत सफल हो रहा है। उनके द्वारा वरिष्ठ प्रशिक्षक हरीश पाण्डे, बृजमोहन जोशी, मोहन जोशी, शम्भू दत्त साहिल के अंग वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया, तथा इस कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे सभी शिक्षक शिक्षिकाओं को भी प्रमाण पत्र देखकर सम्मानित किया गया।
इस कार्यशाला के समापन पर आयोजित कार्यक्रम में निम्न शिक्षक / शिक्षिकाओं रचना, गुंजन, लक्ष्मी, अनीता आर्या, कमल तिवारी, देवेन्द्र चन्द्र कपिल, मीरा रौतेला, नवीन सिंह, लक्ष्मी नवाड़ी, किरन बिष्ट, रेजीना रिक्खी, स्वाति सिंह, सदाफल यादव, प्रदीप, फकीर चन्द्र , सुरेन्द्र राणा, प्रेमा बेलवाल, मीना रौतेला, खिमेश चन्द्र फुलारा, पुष्पम क्वीरा, हिमानी जोशी, सुनीता आर्या, शशि जोशी, मिली गोस्वामी, प्रभा आर्या, गोपाल सिंह बिष्ट, योगेश चन्द्र भट्ट, कल्पना जोशी, कुसुम नयाल, नम्रता सिंह, जोगेश सिंह, महेश काण्डपाल, हरीश सिंह बिष्ट, नीलम शर्मा द्वारा प्रदर्शन किया गया।