ऋषिकेश(अंकित तिवारी): एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों ने 19 वर्षीय युवक की जटिल बेंटल सर्जरी कर उसे नया जीवन दिया। यह युवक जन्म से ही “बाइकेस्पिड एओर्टिक वाल्व” और “एओर्टा में कोर्क्टेशन” जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित था।
एम्स के कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के डॉक्टर अनीश गुप्ता ने बताया कि युवक की पहले दिल्ली के एक अस्पताल में “कोक्र्टेशन ऑफ एओर्टा” की सफल स्टेंटिंग हो चुकी थी। इसके बावजूद, जन्म से ही मौजूद बाइकेस्पिड एओर्टिक वाल्व (3 की बजाय 2 पत्तियों वाला हार्ट वाल्व) के कारण उसकी एओर्टा में असामान्य बढ़ोतरी हुई। 18 वर्ष की आयु में यह समस्या “एओर्टिक एन्यूरिज्म” में बदल गई।
युवक का वजन 103 किलोग्राम था और उसकी महाधमनी (एओर्टा) 5.5 सेमी से अधिक चौड़ी हो गई थी, जो फटने के कगार पर थी। स्थिति बिगड़ने पर उसे एम्स ऋषिकेश भेजा गया, जहां सीटीवीएस टीम ने बेंटल सर्जरी की। इस प्रक्रिया में दिल से जुड़ी महाधमनी और एओर्टिक वाल्व को बदल दिया गया।
यह सर्जरी पूरी तरह सफल रही। मरीज 20 दिनों के भीतर बिहार लौटकर अपने इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई फिर से शुरू कर चुका है। यह राज्य के किसी सरकारी संस्थान में 103 किलोग्राम वजन वाले मरीज पर सफल बेंटल सर्जरी का पहला मामला है।
इस सर्जरी का नेतृत्व डॉ. अनीश गुप्ता ने किया। टीम में डॉ. दानेश्वर मीणा, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. अबीशो, डॉ. ईशान, और डॉ. सावन शामिल थे। एनेस्थेसिया विभाग से डॉ. अजय कुमार, कार्डियोलॉजी विभाग से डॉ. भानु दुग्गल और डॉ. यश श्रीवास्तव, साथ ही नर्सिंग टीम ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
संस्थान की निदेशक प्रो. मीनू सिंह, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल, सीटीवीएस विभागाध्यक्ष डॉ. अंशुमान दरबारी और यूनिट इंचार्ज डॉ. नम्रता गौड़ ने इस सफलता के लिए सर्जरी टीम की सराहना की।
यह उपलब्धि एम्स ऋषिकेश की चिकित्सा क्षेत्र में बढ़ती विशेषज्ञता और जटिल सर्जरी में उत्कृष्टता का प्रमाण है