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पोथियों में अमर हमारे पुरखे : तीर्थ पुरोहित परीक्षित जी

“हरिद्वार”

तीर्थ पुरोहित पंडित परीक्षित जी के पास अपने यजमानों का 400 वर्ष से अधिक पुराना रिकॉर्ड उपलब्ध है। पंडित परीक्षित जी से हमने मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि हमारे यह देव ग्रंथ / धर्म ग्रंथ उच्चतम न्यायालय में भी प्रामाणिक हैं। पूरब, पश्चिम, और उत्तर दिशाओं के निवासी हमारे यजमान हरिद्वार आते हैं और अपने परिजनों के नाम लिखाते हैं। दक्षिण भारतीय लोग हरिद्वार बहुत कम आते हैं उसका कारण पंडित जी ने बताया कि उनके लिए बनारस सुलभ है।

बद्रीनाथ, केदारनाथ, हरिद्वार, बनारस सहित अनेकों तीर्थ स्थलों पर तीर्थ पुरोहित अपने यजमानों का पीढ़ी दर पीढ़ी रिकॉर्ड सुरक्षित रखते हैं। आपके पास 400 साल पुराना इतिहास है। बहुत परिश्रम से यह पोथियां तैयार की जाती हैं। इन पोथियों पर लिखने के लिए पहले स्याही भी तीर्थ पुरोहित घर में ही तैयार करते थे और कलम से लेखन का कार्य होता था। इन पोथियों पर यजमान भी यदि अपनी तरफ से कुछ लिखना चाहते थे तो वह अपना मंतव्य भी अंकित करते थे। इन पोथियों की सुरक्षा व्यवस्था भी उच्च कोटि की है। पंडित जी ने हमें 1920 में गुजरांवाला से लाई गई आलमारी दिखाई; जिसका एक दरवाजा 25 से 30 किलो का है। इस आलमारी की साफ सफाई में भी कम से कम 15 लोगों की जरूरत होती है। आलमारी में बहुत से गुप्त ताले हैं जिनको हर कोई नहीं खोल सकता है। पंडित जी ने बताया कि उनके यजमान विभिन्न स्थानों से आते हैं। दक्षिण भारत को छोड़कर शेष भारत के विभिन्न राज्यों से भी उनके यजमान आते हैं।

पंडित जी ने बताया कि यद्यपि बहुत सारे तीर्थों पर यजमानों का लेखा-जोखा रखा जाता है लेकिन हरिद्वार में सबसे पुराने ग्रंथ हैं। परीक्षित जी ने बताया कि यह पोथियां हमारे खेत हैं, यही हमारी उपज हैं। इनकी सुरक्षा और लेखन का कार्य हम बहुत परिश्रम और आत्मीयता के साथ करते हैं। परीक्षित जी ने बताया कि उत्तराखंड के चार धामों की यात्रा का मुख्य स्थान हरिद्वार ही है। हरिद्वार हरि और हर अर्थात बद्रीनाथ और केदारनाथ का द्वार है। तीर्थ पुरोहित परीक्षित जी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी, महामहिम राज्यपाल और ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य जी के मार्गदर्शन में चार धाम यात्रा के सफल संचालन के लिए शुभकामनाएं दीं।
तीर्थ पुरोहित “पंडित परीक्षित जी” ज्वालापुर, हरिद्वार के रहने वाले हैं और नाई घाट (हर की पैड़ी), हरिद्वार में लाल झंडे वाले के नाम से प्रसिद्ध हैं। हंसमुख व्यक्तित्व के धनी, प्रबुद्ध, तीर्थ पुरोहित पंडित परीक्षित जी मधुर कंठ के स्वामी, मां गंगा के परम् भक्त और यजमानों का हित चाहने वाले हैं। पंडित परीक्षित जी को नमन, वंदन और अभिनंदन। अधिक जानकारी के लिए आइए! तीर्थ पुरोहित परीक्षित जी से साक्षात्कार करते हैं।

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