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राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद : कमल किशोर डुकलान ‘सरल’)

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पिछले 75 वर्षों से ज्ञान,शील और एकता के संदेश के साथ राष्ट्रीय हित व विद्यार्थी हित में देशभर में अपना योगदान देता आ रहा है,

उत्तराखंड//हरिद्वार//रुड़की

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय पुनर्निर्माण है। युवा शक्ति के जागरण में छात्रशक्ति ही राष्ट्र शक्ति है। राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए छात्रों में राष्ट्रवादी चिंतन को जगाना ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का मूल उद्देश्य रहा है। देश की युवा छात्र शक्ति का यह प्रतिनिधि संगठन है। इसकी मूल अवधारणा राष्ट्रीय पुनर्निर्माण है।….

कहते है जिस ओर जवानी चलती है, उस ओर जमाना चलता है| अर्थात छात्र जीवन एक ऐसा समय चक्र होता है जब छात्र को सही दिशा में या यूं कहिए छात्रों को बचपन से ही जिस दिशा में ढाला जाता है वे उसी में ढल जाते हैं। छात्रों का विद्यार्थी जीवन का यही समय होता है जब उनकी सोच,कार्य का तरीक़ा,चरित्र व देश की सेवा का जज़्बा पैदा होता है |
अकसर छात्र जीवन से जो भी विद्यार्थी राजनीतिक जीवन में आता है,वह ज्यादा कर्मठ कर्मशील ईमानदार और जमीन से जुड़ा हुआ व्यक्तित्व वाला माना जाता है। अपने भारत में 2 छात्र संगठन ऐसे हैं जो कि पूरे भारतवर्ष में विद्यार्थियों के हित के लिए अपने अपने तरीके से बात करते हैं। उसमें दुनिया के सबसे बड़े छात्र संघ के रूप में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को माना जाता है| जिस का स्थापना दिवस आज के दिन प्रतिवर्ष 9 जुलाई को भारत में राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारतवर्ष के सभी छात्रों के हितों व राष्ट्रीय हित की रक्षा करने के उद्देश्य से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना हुई थी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पिछले 75 वर्षों से ज्ञान,शील और एकता के संदेश के साथ राष्ट्रीय हित व विद्यार्थी हित में देशभर में अपना योगदान देता आ रहा है,साथ ही समय-समय पर युवा पीढ़ि को राष्ट्र हित के प्रति अपने दायित्वों का बोध भी कराता है।
आज से तीन दशक पहले अगर छात्र परिषदों का लेखा जोखा देखें तो यह छात्र परिषद ना केवल चरित्र का निर्माण करते हैं,बल्कि राष्ट्र को एक नई दिशा देने वाले छात्र नेताओं की भी पैदावार इन्हीं संगठनों के माध्यम से होती थी। उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में अगर देखें तो राज्य नेतृत्व में तीरथ सिंह रावत से लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जैसे अनेक नेताओं ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा प्रदेश में नेतृत्व प्रदान किया है। देश में भी अनेक राष्ट्रीय स्तर की नेतृत्व को जन्म दिया है|
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने छात्रों के हित में देशव्यापी आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया है,साथ ही देश की राजनीति में भी काफी हद तक उनका दखल रहा है। मुझे एक नाम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन के रूप में कार्य करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख स्व.श्री अधीश जी का ध्यान आ रहा है जिन्होंने ने संगठन को मजबूत करने के लिए बहुत ही मेहनत मेहनत की थी।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर आंदोलन हो या बांग्लादेशी घुसपैठियों भारत में प्रतिबंध की बात हो देश के ऐसे तमाम राष्ट्रीय मुद्ंदो पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् संगठन के नेतृत्व में समय-समय पर आंदोलन होते रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वर्तमान सरकार्यवाह दत्तात्रेय हौसबले,संघ के अखिल भारतीय पचार आयाम के प्रमुख श्री सुनील आम्बेकर,देश के पूर्व उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू,स्व.श्री अरुण जेटली, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जे.पी नड्डा,केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान,पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर, इंडिया टीवी के चीफ रजत शर्मा आदि अनेक ऐसे राजनीति के स्वनाम धन्य राजनेता हैं जिन्होंने ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से ही यहां तक का सफर करने वाले बड़े नाम हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का आधिकारिक ध्येय वाक्य ज्ञान,शील और एकता है। यानी की इस छात्र संगठन और इसके सदस्यों से यह अपेक्षा की जाती है कि यह इन तीनों शब्दों को केवल शब्द ना माने बल्कि इनके गहरे अर्थ को आत्मीय साथ करते हुए इसके प्रति प्रतिबंध रहे। ज्ञान से अपने आप को हमेशा बढ़-चढ़कर सुशिक्षित रखें,अपने चरित्र को ठंडा रखें और एकता में जो बल है उसकी ताकत को वह समझे तभी ए.बी.वी.पी के अधिकारिक स्लोगन वह संगठन के प्रति आपकी वफादारी रहेगी।स्थापना काल से ही राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए छात्रों में राष्ट्रवादी सोच जाग्रत करना व उसे प्रोत्साहित करना ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का मूल उद्देश्य रहा है। देश की युवाशक्ति का यह एक ऐसी संगठन है।जिसके मूल में राष्ट्रीय पुनर्निर्माण है।

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