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गढ़ भोज दिवस: उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन का उत्सव

देहरादून(अंकित तिवारी): उत्तराखंड की पारंपरिक फसलों और भोजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा “गढ़ भोज दिवस” को जनपद के तीन सौ एक विद्यालयों में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर, तीस हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को मध्याह्न भोजन के तहत नौरंगी दाल, चावल और झंगोरे की खीर परोसी गई।

इस अवसर पर अक्षय पात्र फाउंडेशन के प्रबंधक दीपक चुघ और स्कूल रिलेशनशिप मैनेजर प्रीति राणा ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा सात अक्टूबर को गढ़ भोज दिवस को एक उत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। इसी क्रम में अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा पीएम पोषण (प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना) जिसे पूर्व में मध्याह्न भोजन योजना के नाम से जाना जाता था, के अंतर्गत आच्छादित जनपद के रायपुर, सहसपुर और विकासनगर ब्लॉक के तीन सौ एक विद्यालयों में अपनी केंद्रीयकृत किचन के माध्यम से आज मध्याह्न भोजन में उत्तराखण्ड की नौरंगी दाल, चावल तथा झंगोरे की खीर उपलब्ध करायी गयी।

 

विकास नगर ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बाड़वाला में कार्यरत शिक्षक और जिला तथा राज्य क्रीड़ा समन्वयक लेखराज तोमर ने बताया की आज अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा उपलब्ध कराये गये भोजन में नौरंगी दाल, चावल तथा झंगोरे की खीर शामिल थे, जो कि बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट था। यह उत्तराखण्ड के पारंपरिक भोजन को बढ़ावा देने के लिये एक सराहनीय पहल है।

राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामगढ़ के प्रधानाध्यापक अरविन्द सोलंकी ने छात्रों को उत्तराखंड की पारंपरिक फसलों जैसे झंगोरा, मंडुवा, कोदो, भट्ट, गहत, और अन्य पौष्टिक अनाजों की जानकारी दी।उन्होंने कहा कि पहाड़ों में पैदा होने वाले अनाजों झंगोरा, मंडुवा, कोदो, लाल चावल, भट्ट, गहत, नौरंगी दाल, सोयाबीन, राजमा, उड़द, गागली इत्यादि में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाये जाते हैं और हमें इन्हें अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल करना चाहिये। इसके साथ ही उत्तराखण्ड में माल्टा, काफल, बुरांश, हिंसर जैसे उपयोगी फल-फूल पाये जाते हैं जिनसे विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाये जाते हैं, जो कि बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। इसके पश्चात छात्र-छात्राओं ने बड़े चाव से अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा उपलब्ध करायी गयी नौरंगी दाल एवं चावल के साथ ही झंगोरे की खीर का आनंद लिया। छात्रों अमन, वेदांत, राजा, ज्योति, उजमा, वैभव, राज, अब्दुल्ला, अरहम, अर्चना, प्रियांशी इत्यादि ने भी आज के भोजन को स्वादिष्ट बताया।

छात्रों ने इस विशेष भोजन का आनंद लिया और इसे स्वादिष्ट बताया। “गढ़ भोज दिवस” उत्तराखंड की पारंपरिक फसलों और खाद्य पदार्थों को संरक्षित और बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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