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श्री रामलीला महोत्सव में नारद मोह लीला का शानदार मंचन

रायवाला(अंकित तिवारी): प्रतीत नगर गांव में लोक कल्याण समिति के तत्वावधान में आयोजित तृतीय श्री रामलीला महोत्सव का आज दूसरा दिन था। इस अवसर पर मुख्य रूप से चार दृश्य प्रदर्शित किए गए: शिव-पार्वती संवाद, गणेश पूजन, नारद मोह, और श्रवण लीला।

मुख्य मंच उद्घोषक एवं प्रवक्ता विरेन्द्र नौटियाल ने जानकारी देते हुए बताया कि रविवार की लीला में भगवान शिव ने माता पार्वती को राम कथा सुनाने का प्रसंग प्रस्तुत किया। देव ऋषि नारद की तपस्या से स्वर्ग लोक में इंद्र का सिंहासन कांपने लगा, जिससे भयभीत होकर इंद्र ने कामदेव को नारद की तपस्या को भंग करने के लिए भेजा। लेकिन नारद जी की तपस्या अडिग रही।

इस लीला में नारद जी का अहंकार और भगवान विष्णु का लीला रचने का प्रसंग दर्शाया गया, जिसमें नारद को बंदर का स्वरूप दिया गया और स्वयंवर सभा में मजाक का पात्र बनना पड़ा। अंत में नारद को अपने शब्दों पर पछतावा होता है, जिससे दर्शकों ने कथा की गहराई को समझा।

इस मंचन में विभिन्न कलाकारों ने अपने बेहतरीन अभिनय का प्रदर्शन किया, शिव के पात्र-मुकेश तिवाड़ी, पार्वती प्रिंस, गणेश आयुष जोशी, श्री हरि विष्णु सौरभ चमोली, लक्ष्मी अर्चित सेमवाल, नारद नित्यानन्द भट्टराई, इन्द्र गंगाधर गौड़, देव रोहित,मोहन, सुन्नी,रोशन,अनुराग,आयुष, कामदेव- विशेष तिवाड़ी , योग माया दिव्या सेमवाल, पृथ्वी परिधि नौटियाल, दशरथ एवं शीलनिधि सुभाष गैरोला, आर्य सुमंत राकेश सेमवाल, गुरु वशिष्ठ भगत सिंह, मंत्री तीरथ सिंह, श्रवण कुमार  विजय शर्मा,  शांतनु त्रिलोक सिंह, ज्ञानवंती -दीपक प्रजापति, नगरवासी सूरज चमोली, मनोज कंडवाल ने सुंदर अभिनय किया ।दर्शकों ने इस सुंदर भव्य मंचन का आनंद लिया, और वैष्णवी कीर्तन मंडली को राम दरबार की माला एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

लोक कल्याण समिति के अध्यक्ष गंगाधर गौड़, उपाध्यक्ष बालेन्द्र सिंह नेगी, सचिव नरेश थपलियाल, कोषाध्यक्ष मुकेश तिवाड़ी, सदस्य राजेन्द्र प्रसाद रतूड़ी, नवीन चमोली, राम सिंह, देवकी सूबेदी, आशीष सेमवाल, मुख्य निर्देशक महेन्द्र राणा, राजेश जुगलान, गोपाल सेमवाल, राजेन्द्र प्रसाद कुकरेती, सौरभ चमोली, अर्चित सेमवाल, करन सिंह,अरुण डबराल, भगत सिंह, सन्नी , सुनील तिवाड़ी सहित अन्य गणमान्य लोग इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे। सैकड़ों राम भक्तों ने भी इस मंचन का आनंद लिया और कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।


इस प्रकार का आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है, जिससे सभी को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिलता है।

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