कर्णप्रयाग, चमोली (अंकित तिवारी)– राजकीय महाविद्यालय कर्णप्रयाग में देवभूमि उद्यमिता योजना के अंतर्गत सोमवार को एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं को मत्स्यपालन एवं स्वरोजगार से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।
कार्यशाला में नौटी ग्राम से आए मत्स्यपालन विशेषज्ञ हर्षवर्धन नौटियाल ने विद्यार्थियों को मत्स्यपालन के व्यावसायिक एवं पारिस्थितिकीय महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि मत्स्यपालन, बत्तख एवं मुर्गी पालन के साथ किया जाए तो यह कम लागत में अधिक लाभदायक हो सकता है। बत्तख एवं मुर्गियों के फूड वेस्ट का उपयोग मछलियों के आहार के रूप में किया जाता है, जिससे खर्च कम आता है और मुनाफा अधिक होता है।
उन्होंने यह भी बताया कि मत्स्यपालन न केवल इकोसिस्टम की सुरक्षा करता है बल्कि भारतीय परंपरा और वास्तु शास्त्र के अनुसार भी इसका विशेष महत्व है। साथ ही, एक्वेरियम व्यापार के माध्यम से इसे और अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, महाविद्यालय की छात्राओं साहिबा एवं आरजू ने हस्तशिल्प उत्पादों का प्रदर्शन किया। उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट से निर्मित वस्तुओं को प्रदर्शित कर अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण का संदेश दिया।
यह कार्यशाला छात्रों के लिए बेहद प्रेरणादायक रही और उन्हें स्वरोजगार के नए अवसरों से अवगत कराया।