डोईवाला(अंकित तिवारी): शहीद दुर्गा मल्ल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डोईवाला के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा “यूनिफॉर्म सिविल कोड: आवश्यकता और क्रियान्वयन” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला की संयोजक डॉ राखी पंचोला रहीं। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ देवेश प्रसाद भट्ट द्वारा किया गया, जिन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए इसे सामाजिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण बताया।
मुख्य वक्ता प्रो. एम. एम. सेमवाल का सारगर्भित व्याख्यान
कार्यशाला के मुख्य वक्ता प्रो. एम. एम. सेमवाल ने छात्र-छात्राओं को UCC की आवश्यकता, उसके क्रियान्वयन और इसके तहत मिलने वाले अधिकारों पर गहन जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, पर्सनल लॉ में होने वाली जटिलताओं का समाधान प्रस्तुत करता है और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है।
उन्होंने ऐतिहासिक कानूनी मामलों— शाह बानो केस, सरला मुद्गल केस, लिली थॉमस केस, जोस पाउलो केस, शायरा बानो केस, शबनम हाशमी केस— का संदर्भ देते हुए समझाया कि कैसे विभिन्न न्यायिक निर्णयों ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की आवश्यकता को उजागर किया। प्रो. सेमवाल ने विवाह, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े कानूनी अधिकारों पर भी चर्चा की और UCC को एक समतामूलक समाज की नींव बताया।
विशिष्ट वक्ता अभियोजन अधिकारी पंकज रॉय की कानूनी व्याख्या
कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता अभियोजन अधिकारी श्री पंकज रॉय ने ब्रिटिश शासन के दौरान लागू किए गए विभिन्न कानूनों, उनसे उत्पन्न समस्याओं और स्वतंत्रता के बाद हुए कानूनी सुधारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने धार्मिक और सेक्युलर लॉ की तुलना करते हुए बताया कि UCC विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा और समानता सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
महाविद्यालय के प्राध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं की सक्रिय भागीदारी
इस कार्यशाला का संचालन डॉ अंजलि वर्मा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ राखी पंचोला द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ नर्वदेश्वर शुक्ल, डॉ नवीन कुमार नैथानी, डॉ सतीश पंत, डॉ त्रिभुवन खाली, डॉ कामना लोहनी, डॉ पंकज पांडेय, डॉ संजीव नेगी, डॉ पूर्ण सिंह खाती, डॉ प्रभा बिष्ट, डॉ वल्लरी कुकरेती, डॉ सुजाता सिंह, डॉ पूनम रावत, डॉ संगीता रावत सहित महाविद्यालय के अन्य शिक्षकगण एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
कार्यशाला में उपस्थित छात्र-छात्राओं ने विषय से संबंधित प्रश्न पूछे और विशेषज्ञों के उत्तरों से लाभान्वित हुए। कार्यशाला के अंत में यह निष्कर्ष निकला कि यूनिफॉर्म सिविल कोड भारत में समान नागरिक कानून लागू करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करते हुए सामाजिक सौहार्द को मजबूत करता है।