उत्तराखंड

स्वयं शारदा जहां विराजे, वह लेखक गांव हमारा है : डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा

भारत का पहला 'लेखक गांव': साहित्य सृजन और संस्कृति का अनूठा केंद्र

देहरादून, थानों(अंकित तिवारी):
लेखकों के लिए समर्पित भारत के पहले लेखक गांव की स्थापना द्रोण नगरी के थानों गांव में की गई है, जो न केवल एक अनूठी पहल है, बल्कि विश्व साहित्य के इतिहास में भी पहली बार हुआ है। इस लेखक गांव का उद्घाटन करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा,

“आपने वृद्धाश्रम और अनाथाश्रम तो सुने होंगे, परंतु लेखकों के लिए आश्रम की यह परिकल्पना अनूठी और प्रेरणादायक है। हिमालय की गोद में स्थित यह लेखक गांव लेखन साधना के लिए एक आदर्श स्थान है, जहां से भविष्य में विश्व के अन्य भाग भी प्रेरणा लेंगे।”

यह लेखक गांव डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की उस परिकल्पना का परिणाम है, जिसका बीज भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बोया था। उद्घाटन के अवसर पर डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ने एक काव्य रचना के माध्यम से लेखक गांव की महत्ता को व्यक्त किया। कविता की भावपूर्ण पंक्तियां इस लेखक गांव की गरिमा को दर्शाती हैं:

“स्वयं शारदा जहां विराजे, वह लेखक गांव हमारा है।
देवभूमि की गोद में चमका, अनुपम एक सितारा है।”

यहां हिमालय की प्रेरणा के साथ सृजन, राष्ट्र सेवा और वैश्विक कल्याण का संदेश दिया जाएगा। “सर्वे भवंतु सुखिनः” इस गांव का नारा है, जो इसे साहित्यिक सृजन और सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बनाता है।

इस लेखक गांव का उद्देश्य लेखकों को एक ऐसा मंच प्रदान करना है, जहां वे प्रकृति की गोद में सृजन कर सकें और अपनी लेखनी के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें। हिमालय की छांव तले यह स्थान लेखकों के लिए न केवल प्रेरणास्थल बनेगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और साहित्य को विश्व स्तर पर पहुंचाने का माध्यम भी होगा।

लेखक गांव की यह अनूठी पहल न केवल देवभूमि उत्तराखंड बल्कि पूरे भारत के साहित्य प्रेमियों के लिए गौरव का विषय है।

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