डोईवाला//भनियावाला//थानों
रजनी तिवाड़ी जी गृहिणी हैं। आपने स्वयं के अभ्यास से ही शास्त्रीय ढोलक वादन सीखा है। आप कहरवा, दीपचंदी, रूपक दादरा आदि तालों को बड़ी मधुरता के साथ ढोलक पर थाप देती हैं।
श्रीमती रजनी तिवाड़ी जी ने बताया कि घर का धार्मिक व सामाजिक, सांस्कृतिक वातावरण ही मेरी प्रेरणा बना और मैंने अपने शौक को पूरा करने के लिए घर पर ही अभ्यास करना प्रारंभ किया। मैं प्रयास करती हूं की अच्छी प्रकार से ढोलक वादन करूं।
श्रीमती रजनी तिवाड़ी जी ने बताया कि उनका पारिवारिक वातावरण धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक होने के कारण उन्हें अपना शौक पूरा करने में कोई बाधा नहीं आई। उन्होंने बताया कि उनके पति कथा वाचक पंडित विजेंद्र व्यास जी* ने हर कदम पर उनको आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और उनका मार्गदर्शन किया।
श्रीमती तिवाड़ी ने बताया कि विवाह के पश्चात ही उन्होंने कक्षा 12 की परीक्षा दी थी। पारिवारिक सहयोग के कारण ही वे आज शास्त्रीय ढोलक वादन भी कई मंचों पर करती हैं और कई कीर्तन पार्टियों में भी जाती हैं। श्रीमती रजनी तिवाड़ी जी कुशल गृहिणी के साथ – साथ सामाजिक रूप से भी सक्रिय हैं।
आपके घर परिवार का वातावरण भी भक्तिमय है। आपके बच्चे भी धार्मिक क्रियाकलापों में बढ़ चढ़कर हिस्सेदारी करते हैं। आपकी पुत्री नैंसी तिवाड़ी दुर्गा सप्तशती स्तोत्र का सस्वर वाचन करती हैं।
श्रीमती रजनी तिवाड़ी ने बताया कि यदि घर परिवार का वातावरण संस्कारमय होगा तो परिवार का हर सदस्य अपनी रुचि के साथ उन्नति पथ पर अग्रसर होता रहता है। उन्होंने बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कार देने की जरूरत बताई।