देहरादून(अंकित तिवारी): बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के भूविज्ञान विभाग के स्नातक चतुर्थ सेमेस्टर के छात्रों ने वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, देहरादून और सहस्रधारा का शैक्षिक भ्रमण किया। इस दौरान छात्रों ने हिमालयी भूविज्ञान, प्राकृतिक संसाधनों और भूवैज्ञानिक संरचनाओं का गहन अध्ययन किया।
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान का अवलोकन करते हुए छात्रों को बताया गया को भूवैज्ञानिक अनुसंधान का केंद्र वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है, जो हिमालय के भूविज्ञान के अध्ययन हेतु कार्यरत है। इसकी स्थापना वर्ष 1968 में दिल्ली विश्वविद्यालय में हुई थी और 1976 में इसे देहरादून स्थानांतरित किया गया।
संस्थान में स्थापित भूविज्ञान संग्रहालय छात्रों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। संग्रहालय में हिमालय का उच्चावच मॉडल, भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के प्रदर्शन हेतु चित्रित पेंटिंग, तथा भूवैज्ञानिक काल-पैमाना मौजूद हैं। छात्रों ने यहाँ स्कैनिंग इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप, रमन स्पेक्ट्रोस्कोप और अन्य आधुनिक उपकरणों की कार्यप्रणाली को समझा। संस्थान के 38 जीपीएस केंद्रों के माध्यम से हिमालय की गति और दिशा के अध्ययन की प्रक्रिया को भी जाना।
सहस्रधारा: प्राकृतिक विरासत का अध्ययन
छात्रों ने सहस्रधारा का भी भ्रमण किया, जो देहरादून से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। डॉ. अनूप कुमार सिंह ने बताया कि यहाँ सल्फर युक्त जलधाराएँ हैं, जो त्वचा रोगों के उपचार में सहायक मानी जाती हैं। सहस्रधारा में स्थित चूना पत्थर की संरचनाएँ और गुफाएँ भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
यहाँ स्थित द्रोण गुफा के विषय में बताया गया कि इसका पौराणिक महत्व भी है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, गुरु द्रोणाचार्य ने यहाँ तपस्या की थी और उनके द्वारा छोड़े गए बाणों से सहस्रधारा का निर्माण हुआ था। यह स्थल न केवल भूवैज्ञानिक बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
छात्रों की जिज्ञासा और मार्गदर्शन
इस शैक्षिक भ्रमण के दौरान डॉ. पवन कुमार गौतम और डॉ. प्रियंका सिंह ने छात्रों के विभिन्न प्रश्नों का समाधान किया। छात्रों ने इस अनुभव को ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक बताया। भ्रमण के सफल आयोजन के लिए छात्रों ने विभागाध्यक्ष प्रो. नरेंद्र कुमार तथा अन्य शिक्षकों का आभार व्यक्त किया।
इस प्रकार, यह अध्ययन यात्रा न केवल सैद्धांतिक ज्ञान को व्यवहारिक अनुभव से जोड़ने में सहायक रही, बल्कि छात्रों को भूविज्ञान की विविध शाखाओं के वास्तविक अनुप्रयोगों से भी अवगत कराया।