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गिरसा और जिलासू में एनएसएस का आर्थिक सर्वेक्षण: पलायन और कृषि संकट प्रमुख समस्याएँ

 

कर्णप्रयाग(अंकित तिवारी): डॉ. शिवानंद नौटियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कर्णप्रयाग में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के सात दिवसीय विशेष शिविर के अंतर्गत स्वयंसेवियों ने ग्राम गिरसा और जिलासू में आर्थिक सर्वेक्षण किया। कार्यक्रम अधिकारी डॉ. हिना नौटियाल के निर्देशन में हुए इस अध्ययन में प्रत्यक्ष अनुसंधान विधि को अपनाया गया।

गिरसा: पलायन और कृषि संकट प्रमुख मुद्दे
गिरसा गाँव की कुल जनसंख्या 600 है, जिसमें से 90 परिवारों में से 40 परिवारों को अध्ययन के लिए चयनित किया गया। सर्वेक्षण में पाया गया कि गाँव में रोजगार की कमी के कारण बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है। जो लोग गाँव में बचे हैं, वे मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन जंगली जानवरों द्वारा फसलें बर्बाद करने और जल संकट जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

ग्रामवासियों ने सुझाव दिया कि गाँव के पास स्थित ऐतिहासिक ‘भरत गुफा’ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके और पलायन पर रोक लगाई जा सके।

जिलासू: तारबाड़ से समाधान की उम्मीद
जिलासू गाँव में कुल 55 परिवारों में से 35 परिवारों को अध्ययन के लिए चुना गया। यहाँ भी कृषि ही मुख्य व्यवसाय है, लेकिन फसलों को जंगली जानवरों से बचाने की चुनौती बनी हुई है। ग्रामीणों ने इस समस्या के समाधान के लिए खेतों के चारों ओर तारबाड़ (फेंसिंग) की व्यवस्था की मांग की।

जागरूकता के लिए नुक्कड़ नाटक
एनएसएस स्वयंसेवियों ने नशा मुक्ति और साइबर अपराध जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर ग्रामीणों को जागरूक किया। इस सर्वेक्षण में ग्रुप लीडर सलोनी, हिमानी के साथ अस्मिता, निधि, मानसी, दीपिका, खुशी, आंचल, नीतिशा, दिया, अमीषा, रिया, आयशा और मनीषा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

एनएसएस शिविर: ग्रामीण विकास की दिशा में अहम कदम
शिविर के दौरान वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. चंद्रावती टम्टा उपस्थित रहीं और स्वयंसेवियों के कार्यों की सराहना की। उन्होंने इसे ग्रामीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया।

महाविद्यालय के पूर्व व सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रो. के.एल. तलवाड़ ने अपने संदेश में कहा कि “एनएसएस स्वयंसेवियों द्वारा किए गए इस आर्थिक सर्वेक्षण के आँकड़े सरकारी विकास योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर उतारने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।”

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