ऋषिकेश(अंकित तिवारी): अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), ऋषिकेश के चिकित्सकों ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए उत्तराखंड में पहली बार कस्टमाइज्ड 3डी प्रिंटेड इम्प्लांट की मदद से एक जटिल “रिवीजन टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी” को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इस अभूतपूर्व तकनीक ने हरिद्वार निवासी 60 वर्षीय संदीप शर्मा को नया जीवन दिया है, जो वर्षों से असहनीय दर्द और चलने में असमर्थता से जूझ रहे थे।
एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित संदीप शर्मा ने 2003 में पीजीआई चंडीगढ़ में अपने दोनों कुल्हों का प्रत्यारोपण कराया था। लगभग दो दशक बाद उनके इम्प्लांट खराब हो गए, जिसके कारण 2023 से उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई और वह पूरी तरह से व्हीलचेयर पर आश्रित हो गए।
उपचार के लिए उन्होंने 2024 में एम्स दिल्ली में परामर्श लिया, लेकिन संक्रमण के कारण उनकी सर्जरी अधूरी रह गई। इसके बाद, उन्होंने एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों से संपर्क किया। जांच में पता चला कि उनके कुल्हे की हड्डी में एक बड़ा दोष है, जिसे सामान्य इम्प्लांट से ठीक करना संभव नहीं था। परिणामस्वरूप, डॉक्टरों ने विशेष रूप से डिजाइन किया गया 3डी प्रिंटेड कस्टमाइज्ड इम्प्लांट तैयार कराया।
प्रोफेसर रूप भूषण कालिया के मार्गदर्शन में ऑर्थोपेडिक्स विभाग की टीम ने फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में आठ घंटे तक चली जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया। डॉ. कालिया ने बताया कि पहले से डाले गए सीमेंट स्पेसर और नेल को हटाकर 3डी प्रिंटेड कस्टम इम्प्लांट को प्रत्यारोपित किया गया। इस महत्वपूर्ण सर्जरी में एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. भावना गुप्ता ने किया।
सर्जरी के सात सप्ताह बाद, संदीप शर्मा अब पूरी तरह से चलने में सक्षम हैं और उन्होंने सामान्य जीवन जीना शुरू कर दिया है। अपनी खुशी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “मैं 2023 से बहुत दर्द में था और व्हीलचेयर पर निर्भर था। एम्स ऋषिकेश में मुझे उत्कृष्ट इलाज और देखभाल मिली। डॉक्टरों ने बड़ी संवेदनशीलता और मेहनत से मेरा इलाज किया। मैं पूरी टीम का आभारी हूं और खुश हूं कि मैं फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सका।”
यह सफलता चिकित्सा जगत में 3डी प्रिंटिंग तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका और क्षमता को दर्शाती है, खासकर जटिल मामलों में यह मरीजों के लिए एक क्रांतिकारी समाधान साबित हो सकती है।