ऋषिकेश(अंकित तिवारी): 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर एम्स ऋषिकेश परिसर में भव्य योग कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की गई। इस अवसर पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि “आज के तनावपूर्ण जीवन में योग सबसे बड़ा औषधीय साधन है, जिसे प्रत्येक व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।” उन्होंने योग को न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण बताया।
एम्स परिसर में हुए मुख्य आयोजन में संस्थान के फैकल्टी सदस्यों, चिकित्सकों, अधिकारियों, स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य स्टाफ ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया और विभिन्न योगिक क्रियाओं का अभ्यास किया। इस अवसर पर निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने योगाभ्यास करते हुए सभी से इसे “जीवनशैली में स्थायी रूप से अपनाने का संकल्प लेने” का आग्रह किया। उन्होंने योग को प्राचीन भारतीय विरासत बताते हुए कहा कि “यह हमारे मन और मस्तिष्क को संतुलन प्रदान करता है और मानसिक सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त करता है।”
कार्यक्रम समन्वयक और वरिष्ठ आयुष चिकित्साधिकारी डॉ. श्रीलोय मोहंती ने जानकारी दी कि योग महोत्सव की शुरुआत संस्थान में 13 जून से की गई थी, जो 25 जून तक चलेगा। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर 600 से अधिक स्टाफ सदस्यों ने भाग लेकर योगाभ्यास किया।
इस अवसर पर योगा थेरेपिस्ट दीप चन्द्र जोशी और संदीप भंडारी ने कपालभाति, अनुलोम-विलोम, ताड़ासन, प्राणायाम और ध्यान जैसी विविध योग विधियों का प्रदर्शन कर उनके लाभ बताए।
कार्यक्रम आयुष विभाग और इंटीग्रेटेड मेडिसिन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री फूलचन्द्र प्रसाद, डीन एकेडेमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मोहित धींगरा, आयुष विभाग की प्रमुख डॉ. मोनिका पठानिया, डॉ. श्वेता मिश्रा, ले. कर्नल राजेश जुयाल सहित संस्थान के अनेक विभागों के प्रमुख, नर्सिंग अधिकारी व अन्य स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का उद्देश्य योग को दैनिक जीवन में अपनाकर सकारात्मक जीवनशैली की ओर प्रेरित करना रहा, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सके।