उत्तराखंड//चमोली
शिक्षा विभाग की वेबसाइट के अनुसार जनपद चमोली मे कुल 128 राजकीय इंटर कॉलेज एवं 78 राजकीय हाईस्कूल हैं! जिसके लिए 128 एवं 78 प्रधानाचार्यो प्रधानाध्यापकों के पद स्वीकृत भी है! लेकिन स्थिति की गम्भीरता का अंदाजा इन आंकडों से समझिए! जनपद मे आज की तिथि तक मात्र 22 पूर्ण कालिक प्रधानाचार्य एवं 14 पूर्णकालिक प्रधानाध्यापक कार्यरत हैं! यानि लगभग 83 फीसदी प्रधानाचार्यो के एवं लगभग 82 फीसदी प्रधानाध्यापकों के पद रिक्त हैं!
विकास खंडों की स्थिति देखिए-
1- देवाल – कुल 17 राइका एवं हाईस्कूल मे *एक भी प्रधानाचार्य/ हैडमास्टर नियुक्त नही है*!
2- थराली – कुल 17 राइका/हाईस्कूल मे मात्र *1 प्रधानाचार्य एवं 1 हैडमास्टर (सत्रांत लाभ) नियुक्त है!
3- नारायणबगड – कुल 21 राइका/ हाईस्कूलों मे मात्र *1 हैडमास्टर* नियुक्त है!
4- गैरसैण- कुल 32 राइका/हाईस्कूलों मे *1 प्रधानाचार्य व 2 हैडमास्टर* नियुक्त है*!
5- *पोखरी – कुल 24 राइका / हाईस्कूलों मे *3 प्रधानाचार्य एवं 2 हैडमास्टरो* की नियुक्ति की गई है*!
6- *नंदा नगर* -कुल 19 राइका/ हाईस्कूलों मे *2 प्रधानाचार्य एवं 3 हैडमास्टर* नियुक्त है*!
7- *जोशीमठ*- कुल 19 राइका/ हाईस्कूलों मे *1 प्रधानाचार्य एवं 1 हैडमास्टर* नियुक्त हैं*!
8- *दशोली- कुल 26 राइका/ हाईस्कूलों मे *8 प्रधानाचार्य एवं 1 हैडमास्टर* नियुक्त हैं*!
9- *कर्णप्रयाग* -कुल 31 राइका/हाईस्कूलों मे *6 प्रधानाचार्य एवं 3 हैडमास्टर* नियुक्त हैं*!
( नोट-आंकड़ों मे कुछ भिन्नता हो सकती है)
*जनपद मे प्रधानाचार्यो एवं प्रधानाध्यापकों की रिक्तियों की ऐसी स्थिति तब हैं जबकि हजारों शिक्षक इन पदों के लिए निर्धारित न्यूनतम आहर्ताओं को बहुत पहले ही पूर्ण कर चुके हैं! एक राजनीतिक इच्छा शक्ति एवं दृढ निर्णय से कुछ ही महीनों मे ये सभी पद भरे जा सकते हैं!सरकार के फैसला न लेने एवं न्यायालयों मे झूलते हमारे प्रमोशन के लिए मेरा सभी पक्षों से आग्रह है कि वे न्यायालय के बाहर भी आपसी संवाद के जरिए टेबल टॉक का रास्ता खोजें! निश्चित रूप से विभागीय ढांचे मे बहुत सारे ऐसे आदेश पारित हुए हैं जो न केवल अव्यवहारिक कहे जा सकते हैं बल्कि उनमें कन्सिसटेंसी भी नही रही है!सभी साथी ये अवश्य सोचिए कि पद्दोन्नति के मामलों को हाईकोर्ट मे उलझाकर सबसे ज्यादा फायदा किसको हो रहा है! मेरा उन सीनियर साथियों से भी निवेदन है जो रिटायर होने या प्रधानाचार्य पदों पर होने के बावजूद प्रमोशन प्रक्रिया को न्यायालय मे लेकर गये हैं कि उनके ऐसे निर्णयों से विभाग मे पदोन्नति की राह देख रहा आम शिक्षक किस मानसिक यंत्रणा से गुजर रहा है*!
*न्यायालयों मे त्रिशंकु बन चुकी हमारी प्रमोशन प्रणाली का सबसे बडा खामियाजा आम शिक्षकों को भुगतना पड रहा है! सबके सामने हजारों रिक्त पद है लेकिन बिना एक भी प्रमोशन पाए शिक्षक साथी रिटायर हो रहे हैं! ये न केवल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि इससे पूरे सिस्टम पर गहरे सवाल है कि क्या हम एक फेल विभागीय कार्य संस्कृति एवं शासन के स्तर पर निर्णय न ले पाने की कमी से जूझ रहे हैं!संक्रमण एवं परिवतर्न के दौर से गुजर रहे संगठन के सामने यही बडी चुनौती है कि वह सबसे पहले इसी डिरेल्ड हुई प्रमोशन की ट्रेन को वापस पटरी पर लेकर आए ताकि विभाग मे ठहराव की स्थिति समाप्त हो सके..
यह जानकारी A/J ग्रामीण न्यूज से प्रकाश सिंह चौहान
जनपदीय मंत्री राशिसं- चमोली ने साझा की हैं।