उत्तरकाशी(अंकित तिवारी): उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु संरक्षण और विकास के संतुलन पर गहन मंथन करने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम), उत्तरकाशी के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। ‘हिमालय में मनुष्य’ थीम पर केंद्रित इस सम्मेलन में देशभर के चिकित्सा विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और रक्षा कर्मियों ने भाग लिया। सम्मेलन में हिमालयी राज्यों में रहने वाले स्थानीय लोगों, पर्वतारोहियों, पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और सीमाओं पर तैनात सैन्य कर्मियों के स्वास्थ्य और हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी) से उत्पन्न समस्याओं पर व्यापक चर्चा की गई।
विशेषज्ञों ने जताई गहरी चिंता
इंडियन सोसाइटी ऑफ हाइपोक्सिया एंड माउंटेन मेडिसिन द्वारा आयोजित इस पहले राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन लेफ्टिनेंट जनरल वेलू नायर पीवीएसएम, कर्नल सी.वी. आप्टे, कर्नल एच.एस. चौहान, प्रो. प्रशांत पाटिल, प्रो. लतिका मोहन और कर्नल एस.पी. सिंह ने संयुक्त रूप से किया। विशेषज्ञों ने बढ़ते पर्यावरणीय परिवर्तन और विकास के नाम पर उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बढ़ती मानवीय गतिविधियों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को लेकर चिंता जताई।
एम्स ऋषिकेश के फिजियोलॉजी विभाग की प्रमुख प्रो. लतिका मोहन ने माउंटेन मेडिसिन और हाइपोक्सिया से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए बताया कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि पर्यावरणीय बदलावों को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य नीतियों में संशोधन की आवश्यकता है ताकि पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वालों को दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुरक्षा दी जा सके।
जलवायु संरक्षण और विकास के संतुलन पर जोर
सम्मेलन के दूसरे दिन उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियों, जलवायु संरक्षण और विकास के संतुलन पर पैनल चर्चा आयोजित की गई। इस चर्चा का संचालन एसडीसी फाउंडेशन उत्तराखंड के संस्थापक अनूप नौटियाल ने किया। पैनल में यूथ फाउंडेशन के संस्थापक कर्नल अजय कोठियाल, स्वामी विवेकानंद स्वास्थ्य मिशन के सचिव डॉ. अनुज सिंघल, एलबीएएसएएनएए के सीएमओ डॉ. मयंक बडोला और एयरोस्पेस मेडिसिन विशेषज्ञ कर्नल शैलजा कार्की जैसे प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भाग लिया।
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रिंसिपल कर्नल अंशुमान भदौरिया और प्रो. लतिका मोहन की अध्यक्षता में आयोजित इस सम्मेलन में कर्नल सुरिंदर पाल सिंह, कर्नल राकेश वर्मा, प्रो. जाहिद अशरफ और डॉ. जयंती पंत सहित अन्य विशेषज्ञों ने भी अपने विचार साझा किए।
वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और रक्षा विशेषज्ञों की भागीदारी
सम्मेलन में डीआईपीएएस, आईटीबीपी, भारतीय सशस्त्र बलों, ग्राफिक एरा और एएफएमसी पुणे सहित विभिन्न संस्थानों के स्नातक छात्रों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने भाग लिया। युवा पीएचडी विद्वानों और उभरते वैज्ञानिकों ने भी इस मंच के माध्यम से अपनी नवीनतम शोध प्रस्तुतियां दीं।
इस सम्मेलन के निष्कर्षों से न केवल पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी नीतियों को मजबूत करने में मदद मिलेगी, बल्कि जलवायु संरक्षण और सतत विकास के संतुलन को बनाए रखने की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।