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कैसे पहुंचेगी विश्व शिखर पर हिन्दी ? -ओम प्रकाश उनियाल

10 जनवरी को प्रतिवर्ष विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है। हिन्दी भाषा एक सरल व प्रभावी भाषा है जिसको सीखने को विदेशी भी लालायित रहते हैं। इस दिवस को मनाने का मूल उद्देश्य यह है कि विश्व के कोने-कोने में जहां भी भारतीय रहते हैं वहां तक इस भाषा को पहुंचाएं। अर्थात् हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार करें। स्वयं भी हिन्दी भाषा का प्रयोग करें। हिन्दी भाषा जहां विश्व में रह रहे भारतीयों को एक सूत्र में बांधने का काम कर रही है। हिन्दी की लोकप्रियता इतनी बढ़ रही है कि कई विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है। हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है, जो कि अन्य भाषाओं की लिपि की अपेक्षा काफी सरल है। और तो और दुनियाभर में सबसे अधिक बोली जाने वाली पांच भाषाओं में से एक है। यह भारतीयों के लिए गर्व की बात है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2006 में भारत सरकार ने 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाने की घोषणा की थी। तब से प्रतिवर्ष यह दिवस मनाया जाता है। कुछ देश ऐसे हैं जहां हिन्दी बोली जाती है। लेकिन, सबसे सोचनीय विषय यह है कि जिस भाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जा रहा है उसे भारत में आजतक राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल पाया। भारत में हिन्दी भाषा को राजभाषा का ही दर्जा प्राप्त है।
हालांकि भारत में भी हिन्दी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। विश्व स्तर तक हिन्दी भाषा की गहरी पैठ बनाने के लिए प्रवासी भारतीयों को ही संकल्प लेकर आगे बढ़ना है। विदेशों में भारतीयों को हिन्दी भाषा में विभिन्न प्रतियोगिताओं, कार्यक्रमों का अधिक से अधिक आयोजन करना होगा, अपने-अपने परिवार में बोलचाल के रूप में प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा तभी हिन्दी शिखर पर पहुंचेगी। भाषा कोई-सी हो सीखने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए मगर अपनी भाषा को बढ़ावा देने में हमेशा आगे रहना चाहिए।

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